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    संविधान के निर्माता ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता के प्रतीक थे डॉ0 भीमराव आंबेडकर : पूर्व प्रधान नफीस



    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: धीरज यादव 


    दुबहर, बलिया:--क्षेत्र के घोड़हरा गांव में सोमवार को भारत रत्न डॉ0 भीमराव अंबेडकर की जयंती केक काटकर हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाई गई। क्षेत्र के लोगों ने उनके तैल चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगल पांडेय विचार मंच के सक्रिय कार्यकारिणी सदस्य एवं घोड़हरा के पूर्व प्रधान नफीस अख्तर तथा सामाजिक कार्यकर्ता संजय चौहान ने संयुक्त रूप से केक काटकर किया। इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने देश के लिए दिए गए डॉ0 अंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डाला।
     कार्यक्रम को संबोधित करते पूर्व प्रधान नफीस अख्तर ने कहा कि 'भारत रत्न' डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संविधान के निर्माता ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि डॉ0 अंबेडकर ने अन्याय, असमानता, छुआछूत तथा शोषण के खिलाफ जीवन भर संघर्ष किया। उन्होंने मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के लिए सत्याग्रह कर प्रवेश कराया। इस घटना के बाद लोग उन्हें बाबा साहब कहने लगे। अंबेडकर का कहना था कि- भूखे रह जाओ, लेकिन अपने बच्चों को अवश्य पढ़ाओ। आज उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय चौहान ने कहा कि डॉ अंबेडकर की उपलब्धियां एवं मानवता के लिए उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 1990 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। उनका संघर्ष, विचार एवं योगदान आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।
     इस मौके पर आयोजक कमेटी के मनजीत राम, शक्तिमान, चंद्रिका राम, दरोगा राम, मुमताज, कृष्णा राम, रिंकू राम, मुकेश राम, हरेंद्र राम, शौकत अली, अनिल राम, संजीत, सोनू, मोनू एवं थाना उप निरीक्षक राजकुमार यादव और राजेंद्र प्रसाद सहित अनेकों लोग उपस्थित रहे।

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