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    भुई आंवला के औषधीय गुण उपयोग का तरीका व सावधानी जानिएं : संतोष कुमार गुप्ता

    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 

    बलिया उत्तरप्रदेश:---भुई आंवला एक छोटी जड़ी-बूटी है जो ज़मीन के पास फैलती है। इसे संस्कृत में "भूम्यामलकी" के नाम से जाना जाता है। 

     यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है, खासकर भारत के दक्षिणी राज्यों में। यह आयुर्वेद में लीवर और किडनी के रोगों के इलाज के लिए प्राचीन काल से उपयोग की जा रही है।

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    कहां पाई जाती है:

    दक्षिण भारत, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में।

    यह अक्सर खेतों, जंगलों और खुले मैदानों में अपने आप उगती है।

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    भुई आंवला के औषधीय गुण:

    1. लीवर के लिए रामबाण:

    यह लीवर को मजबूत करता है और हेपेटाइटिस, जॉन्डिस जैसी बीमारियों का इलाज करने में सहायक है।

    लीवर डिटॉक्स करने में मदद करता है।

    2. किडनी स्टोन का इलाज:

    भुई आंवला किडनी स्टोन को तोड़ने और पेशाब के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है।

    यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) में भी फायदेमंद है।

    3. डायबिटीज में लाभकारी:

    यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

    4. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:

    भुई आंवला शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाकर सर्दी-खांसी और वायरल संक्रमण से बचाता है।

    5. त्वचा के रोग:

    इसका पेस्ट त्वचा के संक्रमण, फोड़े-फुंसी और एलर्जी को ठीक करने में मदद करता है।

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    उपयोग का तरीका:

    1. काढ़ा:

    भुई आंवला के पत्तों और डंठल को उबालकर काढ़ा बनाएं। यह लीवर और किडनी के लिए फायदेमंद है।

    2. पाउडर:

    सूखे हुए भुई आंवला को पीसकर इसका पाउडर बनाएं और रोज सुबह-शाम पानी के साथ लें।

    3. जूस:

    ताजे पत्तों का रस निकालकर सुबह खाली पेट लें। यह जॉन्डिस में लाभकारी है।

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    सावधानी:

    इसे गर्भवती महिलाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।

    अधिक मात्रा में सेवन से पेट में हल्की गड़बड़ी हो सकती है।

    भुई आंवला एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध औषधि है, जो लीवर और किडनी के रोगों का इलाज प्राकृतिक तरीके से कर सकती है।


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