उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट : हिमांशु शेखर
बलिया/रेवती :---सलेमपुर के सांसद रामा शंकर विद्यार्थी द्वारा जनचौपाल के दौरान रेवती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में डॉक्टरों की कार्यशैली को लेकर की गई सख्त टिप्पणी के बाद जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) बलिया ने कार्रवाई का संज्ञान लिया है। इस क्रम में रेवती CHC में तैनात डॉक्टर दिनेश सिंह का स्थानांतरण मनियर हॉस्पिटल के अधीक्षक पद पर किया गया है।
सूत्रों के अनुसार यह डॉक्टर दिनेश सिंह का रेवती से दूसरा स्थानांतरण है। इससे पहले उनका स्थानांतरण बेरुआरबारी हॉस्पिटल में हुआ था, लेकिन वह वहाँ कार्यभार ग्रहण किए बिना पुनः रेवती लौट आए थे। अब दोबारा मनियर स्थानांतरित किए जाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह इस बार आदेश का पालन करेंगे या फिर पहले की तरह रेवती में ही जमे रहेंगे।
सांसद ने चेताया, बाहरी दवा या जांच लिखने पर भेजिए फोटो, होगी कड़ी कार्रवाई!
जन चौपाल के दौरान सांसद विद्यार्थी ने रेवती हॉस्पिटल की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि किसी डॉक्टर द्वारा मरीज को बाहरी दवा, जांच या अल्ट्रासाउंड की पर्ची लिखी जाती है तो उसकी फोटो लेकर मुझे व्हाट्सऐप पर भेजिए। मैं उस डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्यवाही करवाऊंगा। हॉस्पिटल सेवा का स्थान है, व्यापार का नहीं।
डॉक्टर दिनेश सिंह पर गंभीर आरोप
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर दिनेश सिंह की रेवती में गहरी पकड़ है और वह मरीजों को लगातार निजी जांच व बाहरी दवाओं के लिए लिखते हैं। सीएमओ के निर्देशों के बावजूद वे अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं लाते। बताया जाता है कि सिर्फ जांच के माध्यम से वह हर महीने लाखों रुपये की अवैध कमाई करते हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि यही कारण है कि वह बार-बार स्थानांतरण के बावजूद रेवती से हटने को तैयार नहीं हैं।
रेवती CHC के प्रभारी ने भी उनके खिलाफ शिकायत सीधे सीएमओ बलिया से की थी, जिसमें डॉक्टर की कार्यशैली, निजी जांच व बाहरी दवाओं की पर्चियों को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई थी।
सांसद उठाएंगे मुद्दा 'दिशा' बैठक में
सांसद विद्यार्थी ने यह भी घोषणा की कि वह इस पूरे प्रकरण को आगामी 'दिशा' (जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति) बैठक में प्रमुखता से उठाएंगे। उनका कहना था कि रेवती हॉस्पिटल को व्यवसायिक केंद्र में बदलना शर्मनाक है और इसका समाधान जल्द निकाला जाएगा। रेवती हॉस्पिटल की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता अब सामने आ रही है। यदि आरोप सही पाए गए तो यह मामला केवल डॉक्टर के आचरण का नहीं, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर कमजोरी का प्रतीक भी बन सकता है।