खेल समाचार
इनपुट:खेल समाचार
खेल समाचार:---टेस्ट क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ी विरले ही आते हैं जो हर ओवर, हर गेंद और हर स्पेल में एक जैसा जोश, जुनून और जज़्बा लेकर उतरते हैं। मोहम्मद सिराज उन्हीं में से एक हैं। वह पहले ओवर की पहली गेंद जितनी ऊर्जा से फेंकते हैं, उतनी ही जान टेस्ट के पांचवें दिन की आखिरी गेंद में भी झोंकते हैं। सिराज का संघर्ष, समर्पण और संकल्प देखकर एक बात साफ होती है — यह खिलाड़ी सिर्फ गेंदबाजी नहीं करता, वो टीम इंडिया के लिए अपनी रूह तक झोंक देता है।
लेकिन सवाल यह था कि इतनी मेहनत, इतनी लगातार कड़ी गेंदबाजी के बावजूद सिराज के खाते में बड़ी उपलब्धियाँ क्यों नहीं आ रही थीं? वो जसप्रीत बुमराह के साथ मिलकर लगातार दबाव बनाते रहे, मौके पैदा करते रहे, लेकिन फिर भी "पारी में पंजा" नहीं खुल पा रहा था। शायद वक्त उनकी परीक्षा ले रहा था। और जब वक्त ने उन्हें मंच दिया, तो सिराज ने वो कर दिखाया जो सिर्फ बड़े खिलाड़ी कर पाते हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज ने उस आधे घंटे में तूफ़ान ला दिया, जिसे जिसने भी मिस किया, यकीन मानिए, क्रिकेट के एक ऐतिहासिक लम्हे से चूक गया। इंग्लैंड की टीम पहली पारी में मज़बूत स्थिति में थी — 387 रन पर 5 विकेट। लेकिन नई गेंद का सामना करना जैसे एक बुरे सपने में बदल गया। सिराज और आकाशदीप की गेंदों ने अंग्रेज बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी। और देखते ही देखते, इंग्लैंड की पूरी पारी 407 रन पर सिमट गई।
सिराज ने झटके 6 विकेट, आकाशदीप ने चटकाए 4। और भारतीय गेंदबाजी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
ये 6 विकेट सिर्फ आँकड़े नहीं हैं — ये सिराज की कड़ी मेहनत, आलोचनाओं के बीच डटे रहने और भारतीय क्रिकेट के प्रति उनकी निष्ठा का प्रमाण हैं। जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के दौरान एक प्रतिष्ठित अखबार ने उनके चयन पर सवाल उठाए थे, तब भी सिराज चुप रहे। उन्होंने जवाब मैदान में दिया — गेंद से, स्विंग से, और ज़मीन पर गिरकर उठते हुए।
मोहम्मद सिराज आज सिर्फ एक गेंदबाज़ नहीं हैं, वे भारतीय क्रिकेट की वो भावना बन चुके हैं जो कहती है — "मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।"
आज आलोचक खामोश हैं, क्योंकि सिराज की गेंदें बोल रही हैं।