उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:संतोष मिश्रा
अयोध्या :--- वह नगर नगरी जहां कभी रामराज्य की कल्पना होती थी, पर आज बैरिकेटराज्य की सच्चाई बन चुका है। जिस नगर में प्रभु श्रीराम को चौदह साल तक वनवास झेलना पड़ा, उसी अयोध्या में अब आम जनता को रोजाना‘सड़कवास’ झेलना पड़ रहा है।हर गली हर चौराहे पर बैरिकेडिंग अयोध्या के निवासी हो कर अयोध्या में जाने और आने के बारे में सोचें
आजकल यहां बैरिकेटिंग एक नई पूजा पद्धति बन चुकी है—प्रशासन सुबह-सुबह बैरिकेट लगाकर नियमों का हवन करता है और जनता उस धुएं में खांसती है। हर गली, हर मोड़ पर लोहे की सलाखें ऐसे सजाई गई हैं जैसे हर नागरिक भगोड़ा हो और कोई भी VIP की सड़क को ‘अपवित्र ना कर दे।आप साधु हैं? छात्र हैं? नौकरीपेशा हैं?* —माफ कीजिए, *आधार कार्ड दिखाइए, वो भी तभी काम आएगा जब आप उसमें "विशिष्ट व्यक्ति" लिखवा लाएं अन्यथा, "पैदल जाओ, पंख उगाओ, लेकिन बैरिकेट पार मत करो!"*
*विप्र वर्ग (Very Important People Road Users) के लिए तो जैसे स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं*—चार पहिया गाड़ी आए, हॉर्न बजाय और गेट खुले! वहीं दो पहिया चलाने वाला आम इंसान गाड़ी को घसीटता हुआ बैरिकेट के इस पार से उस पार तक जाए मानो *कोई आधुनिक‘श्रवण कुमार’ हो जो बाइक पर नहीं, कंधे पर बिठाकर मां-बाप को ले जा रहा हो।
सबसे दिलचस्प पहलू यह कि अयोध्या के मेयर खुद एक बड़े मंदिर के महंत हैं —यानि आध्यात्मिक और प्रशासनिक दोनों शक्ति के केंद्र*श —but *जनता के लिए बस “प्रवेश निषेध सरकार कहती है“सुरक्षा के लिहाज़ से जरूरी है*,
कहने को रामराज्य है, पर यहां रथ नहीं, बैरिकेट दौड़ते हैं।
और हां, एक सुझाव प्रशासन के लिए यदि हर गली में बैरिकेटिंग करनी ही है, तो हर बैरिकेट पर एक मंदिर बना दीजिए लोग दर्शन समझकर झुके रहेंगे,कम से कम विरोध तो नहीं करेंगे!