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    BHU उपलब्ध समृद्ध साहित्यिक-शैक्षिक संपदा व विरासत से दुनिया को अवगत कराना ज़रूरीः कुलपति प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी



    उत्तर प्रदेश वाराणसी 
    इनपुट:सोशल मीडिया 
    कुलपति जी ने किया सयाजी राव गायकवाड़ केन्द्रीय ग्रंथालय का दौरा, विद्यार्थी सुविधाओं का लिया जायज़ा।



    वाराणसी :--- कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित सयाजी राव गायकवाड़ केन्द्रीय ग्रंथालय का दौरा किया। इस दौरान कुलपति जी ने ग्रंथालय में उपलब्ध विभिन्न विद्यार्थी सुविधाओं का जायज़ा लिया। पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. डी. के. सिंह ने केन्द्रीय ग्रंथालय के विभिन्न विभागों के बारे में कुलपति जी को अवगत कराया। ग्रंथालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ संवाद के दौरान कुलपति जी ने कहा कि केन्द्रीय ग्रंथालय विश्वविद्यालय और विद्यार्थियों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। उन्होंने विद्यार्थी सुविधाओं के उन्नयन की दिशा में पुस्तकालय के प्रयासों और प्रगति की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीक के वृहद इस्तेमाल से ग्रंथालय को और आधुनिक व विद्यार्थी अनुकूल बनाने पर कार्य करना होगा। 

    कुलपति जी को केन्द्रीय ग्रंथालय स्थित दृष्टिबाधित डिजिटल लाइब्रेरी सेवा के बारे में भी अवगत कराया गया। यहां किबो स्कैनर की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों को ऑडियो फार्मेट में तैयार कर बिना किसी शुल्क के मुहैया कराया जाता है। अब तक इसके अंतर्गत कुल 600 से अधिक पुस्तकों को ऑडियो फार्मेट में तैयार किया जा चुका है। इसके साथ ही विद्यार्थियों को ब्रेल लिपि में पुस्तकों को भी प्रिंट कर निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। विश्वविद्यालय में कुल 200 से अधिक दृष्टिबाधित विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं। केन्द्रीय ग्रंथालयी डॉ. डी. के. सिंह ने बताया कि यह सेवा दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है। 

    कुलपति जी ने केन्द्रीय ग्रंथालय के पाण्डुलिपि अनुभाग में संरक्षित पांडुलिपियों का भी अवलोकन किया। अनुभाग के कंजरवेटर संजय कुमार ने कुलपति जी को ग्रंथालय में उपलब्ध विभिन्न ऐतिहासिक और दुर्लभ पाण्डुलिपियों के बारे में अवगत कराया। कुलपति जी ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय में उपलब्ध दुर्लभ और समृद्ध साहित्यितक एवं शैक्षिक विरासत के बारे में दुनिया को पता चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी दुर्लभ कृतियों का कैटलॉग बीएचयू की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने से इसकी शुरुआत की जा सकती है ताकि देश-विदेश के शोधकर्ताओं को इसकी जानकारी मिल सके। विश्वविद्यालय में कुल 12,500 से अधिक पाण्डुलिपियां मौजूद हैं जिनमें से 7,281 पाण्डुलिपि केन्द्रीय ग्रंथालय में संरक्षित है। 

    कुलपति जी के दौरे के साथ ही केन्द्रीय ग्रंथालय की नवीनतम सुविधा आरएफआईडी की भी औपचारिक शुरूआत हो गई है। अब विद्यार्थियों को पुस्तकें निर्गत कराने और जमा करने के लिए लंबी पंक्तियों से निजात मिल जाएगी। केन्द्रीय ग्रंथालय में हर रोज़ सैकड़ों विद्यार्थी पुस्तकें जमा और निर्गत कराने आते हैं। कुलपति जी ने अपने दौरे के दौरान केन्द्रीय ग्रंथालय के विभिन्न विभागों को उन्नत और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक सुझाव दिये। इस दौरान केन्द्रीय ग्रंथालय के विभागों के प्रभारी, उप-पुस्तकालयाध्यक्ष, सहायक-पुस्तकालयाध्यक्ष और कर्मचारी मौजूद रहे।

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