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    बलिया तक पहुंचा चक्रवात 'मोंथा' का प्रभाव : डाॅ० गणेश पाठक ( पर्यावरणविद् )


    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 
    बलिया उत्तरप्रदेश:---समुद्र से बहुत दूर होने के बावजूद भी चक्रवातों का असर प्राय: बलिया तक पहुंच ही जाता है ।
    खासतौर से बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न चक्रवातों का असर बिहार, झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ के रास्ते बलिया तक ही नहीं, बल्कि पूर्वी उत्तर - प्रदेश तक दिखाई देने लगता है। इस बार बंगाल की खाड़ी से उठा 'मोंथा' या जिसे 'मेंथा' भी कहा जा रहा है, उसका असर भी  बलिया तक पहुंच चुका है एवं इसका प्रभाव कम से कम तीन तक अवश्य रहेगा ।
         उक्त बातें अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य पर्यावरणविद् डाॅ० गणेश पाठक ने एक भेंट वार्ता में बताया।
         डाॅ० पाठक के अनुसार सामान्य रूप से वायुमंडल में उठने वाली शक्तिशाली वायु विक्षोभों को ही चक्रवात कहा जाता है, जिसकी उत्पत्ति प्राय: तापमान एवं मौसम में परिवर्तन के कारण बनने वाली हवा के दबाव से होती है। इस तरह चक्रवात निम्न दाब के ऐसे केंद्र होते हैं, जिनके केंद्र में निम्न दाब का क्षेत्र होता है एवं केंद्र से बाहर की तरफ धीरे - धीरे वायुदाब में वृद्धि होती जाती है।

    File Photo of डॉ.गणेश पाठक(पर्यावरणविद्)

    डाॅ० पाठक ने बताया कि  चक्रवातों के नामकरण की कहानी भी विचित्र है। विभिन्न क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को भिन्न - भिन्न नामों से पुकारा जाता है। चक्रवातों का नामकरण भी विभिन्न आधारों पर किया जाता है। जैसे - फूल, पशु - पक्षी एवं वन वृक्षों के नाम पर तथा चक्रवात की प्रभावशीलता के आधार पर  नामकरण होते रहे हैं , किंतु बाद में इनका नामकरण खूबसूरत एवं प्रसिद्ध स्त्रियों आदि के नाम पर भी रखे जा रहें हैं। इसके अलावा वर्णमाला क्रम के आधार पर पड़ने वाले संबंधित क्षेत्र आने वाले चक्रवात का नामकरण करता है। जैसे - इस समय बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात का नामकरण थाईलैंड द्वारा 'मोंथा' रखा गया है, जिसका अर्थ 'सुंदर फूल' होता है। 
    वैसे 2024 से भारत सहित हिंद महासागर के 13 देशों ने अपने स्तर पर तूफानों के नामकरण की परम्परा विकसित की है, जिसके तहत बारी - बारी से  इन तूफानों का नामकरण करते हैं। इसके आधार पर ही थाईलैंड द्वारा बंगाल की खाड़ी से उठने वाले इस चक्रवात का नामकरण 'मोंथा' रखा गया है। 
         मोंथा चक्रवात बंगाल की खाड़ी में थाईलैंड के पास से उत्पन्न होकर आगे बढ़ते हुए भारत के आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के निकट समुद्र तट से  28 अक्टूबर को रात में टकराया, जिसकी गति 90 से 100 किमी ० प्रति घंटा थी जो बढ़कर 110 किमी० प्रति घंटा तक हो गयी थी। 
         समुद्री तट से टकराने के बाद जब जह चक्रवात स्थल की तरफ आगे बढ़ा तो आंध्रप्रदेश, तेलांगना एवं आंध्रप्रदेश होते हुए बंगाल में प्रवेश कर भरपूर बारिस किया। हजारों लोगों को समुद्री तट से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
    बलिया सहित पूर्वांचल  में 'मोंथा' का प्रभाव - 
        जैसे - जैसे यह 'मोंथा' चक्रवात आगे बढ़ता गया , इसकी गति कम होती गयी, जिससे यह शिथिल पड़ता गया, किंतु छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं बिहार होते हुए इस चक्रवात का प्रभाव बलिया सहित पूर्वांचल  के अन्य जिलों में दिखाई दे रहा है और सामान्य बर्षा भी हो रही है। इन क्षेत्रों में इस चक्रवात का प्रभाव तीन दिनों तक रहने की सम्भावना है। खासतौर से धान की फसल के लिए यह बर्षा हानिकारक सिद्ध हो सकती है, क्यों धान की फसल अब लगभग पक गयी है। यदि फसल हवा के प्रभाव से गिर गयी तो उसकी बर्बादी तय है। यही नहीं यदि बर्षी अधिक हुए तो रबी की खेती भी प्रभावित हो सकती है, क्यों कि खेत जल्द तैयार नहीं हो पायेंगे।

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