उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:---हे हंस वाहिनी,वीणावादिनी मांँशारदे करना माँ उपकार ।
ज्ञान कोष रिक्त, सृजन सरस रहे, करना आशा का संचार ।
संगीतमय देवी , वीणा वरदायिनी पकड़े हम सत्य की राह ,
अमर लेखनी सी रहे पहचान सदा ही निर्मल मन की है चाह ।
हाथों में सजे वीणा मुखमंडल पर मुस्कान, यही निज पहचान,
स्वर की देवी, ज्ञान की गंगा, वेदों की ज्ञाता हम सभी का मान ।
पीली चादर ओढ़ कर धरा बदलती रूप, क्या कहती जरा सुन,
तब प्रेमी जन हो मोहित, चहु ओर फैली कोयल की मधुर धुन।
तन मन महकाता आता बंसत हर तरफ रंग बिरंगे फूलों का जोर
पल्लवित पुष्पित होती धरा,मन हर्षित करता नित्य भंवरों का शोर।
बंसत का शब्दों में वर्णन जाने क्यों होता आज ऋतु से बड़ा अनुराग ,
पंछियों की चहक, धरा भी सजी दुल्हन सी ,सुनाए भिन्न भिन्न राग।
कोकिल दल मंडराए, हुई तरूण डालिया मधुप सुनाए पलपल राग,
घर द्वार रोनक बढती, कलिया घुंघट खोलती दिखें मस्त परम पराग ।
शब्दों की राहत से
सर्दी की विदाई का समय और साथ ही बंसत की शुरुआत "बसंत पंचमी" यह दिन विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना का दिन। इसे श्री पंचमी, ऋषि पंचमी नाम से भी पुकारा जाता है। मां सरस्वती बह्मा जी के मुख से प्रकट हुई इसलिए इस तिथि को बसंत पंचमी पर्व रूप में मनाया जाता है।माँ सरस्वती संगीत की देवी जिनका शृंगार पीले फूल पीले वस्त्र अर्पित कर किया जाता है। आज का दिन ज्ञान और विद्या प्राप्ति के लिए माँ से आशीर्वाद मांगने का दिन है। मां सरस्वती का वाहन हंस विवेक, शक्ति सत्य असत्य की परख का प्रतीक, जो हमें बताता इंसान को अपनी मनोवृत्ति हंस समान विवेकशील रखनी चाहिए। मां के हाथों में पुस्तक सद्ग्रंथों और स्वाध्याय की प्रेरणा देती है। उनके स्वेद वस्त्र सात्विकता पवित्रता का प्रतीक और वीणा स्वरों के आनन्द, उल्लास वातावरण को सृजित करती है।
ध्यान रहे दोस्तों…मन खराब है तब बुरे शब्द न बोलें क्योंकि खराब मन को बदलने के मौके बहुत मिल जायेंगे लेकिन बोले गये शब्दों को बदलने के मौके फिर कभी नहीं मिलते।शब्दो की राहत के सभी प्रिय पाठकों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ बधाई माँ सरस्वती का आशीर्वाद सभी पर बना रहे सबका दिन शुभ हो मंगलमय हो इसी कामना के साथ बीना
🙏 या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 🙏