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    होलाष्टक क्या होता है? इसके अशुभ प्रभाव और बचाव के उपाय होलाष्टक में अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय जानिएं : आशिष तिवारी



    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 


    बलिया उत्तरप्रदेश :----होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी और यह 13 मार्च तक चलेगा। यह आठ दिवसीय अवधि होती है, जो होली से पहले आती है और इसे ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ माना जाता है। इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है। जिससे शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस समय विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और अन्य मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है।

    🔥होलाष्टक का महत्व और अशुभ प्रभाव🔥

    🔹होलाष्टक का संबंध भक्त प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को प्रताड़ित किया था, लेकिन वह भगवान विष्णु की कृपा से सुरक्षित रहे। इसी कारण से इस अवधि को उग्र और अशुभ माना जाता है। इस समय चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों की स्थिति असंतुलित हो जाती है, जिससे  नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

    🔥होलाष्टक में अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय🔥

    🔹भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, विशेष रूप से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना  लाभकारी होता है।

    🔹जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें, इससे  नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

    🔹मुख्य द्वार पर हल्दी और सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं और रोजाना घर में दीप जलाएं। कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं, जिससे  नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी।

    🔹हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

    🔹इस समय अधिक वाद-विवाद और क्रोध से बचें, ताकि मानसिक शांति बनी रहे।

    🫧अनमोल मोती🫧

    जीवन में सुख तब नहीं आता जब हम कुछ पा लेते हैं अपितु तब आता है, जब सुख पाने का भाव हमारे भीतर से चला जाता है।

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