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    काला धतूरा भूतबाधा निवारण में काले धतूरे जड़ का प्रयोग विभिन्न रोगों में उपचार जानिएं : संतोष कुमार गुप्ता



    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 

    बलिया उत्तरप्रदेश :--- धतूरा के पौधे लगभग सभी जगह पाए जाते हैं और यह आसानी से नहीं मिलते हैं। काले धतूरे में गहरे बैंगनी फूल लगते हैं जो गोल आकार की होते हैं। इसके पत्ते कोमल व मुलायम होते हैं। इसके फल सेब की तरह गोल होते हैं और फल के ऊपर छोटे-छोटे कांटे होते हैं। धतूरे चार प्रकार के होते हैं- काला, सफेद, नीला व पीला। काले धतूरे का रंग गहरे काले रंग का होता है और इसके पत्ते, डंडी व फूल भी काले ही होते हैं।

    काले धतूरे की जड़ –इसका पौधा सामान्य धतूरे जैसा ही होता है,हां इसके फूल अवश्य सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार ,मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में  ऊपरी हवा का असर नहीं होता, सुख -चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है।

    एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगाये। इन दोनों पौधों पर नियमित स्न्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को ब्रहमा ,विष्णु ,महेश ,इन तीनों की सयुंक्त पूजा कर फल मिलता है। क्योंकि तुलसी विष्णु प्रिया है ,काला धतुरा शिव रूप  है एवं तुलसी की जड़ों में भगवान ब्रहमा का निवास स्थान माना जाता है।

    भूतबाधा निवारण  में काले धतूरे जड़ का प्रयोग :

    1.  अगर आप भूत बाधा से पीड़ित हैं तो निम्न प्रकार तैयार किया गया गंडा इससे मुक्ति दिलाएगा :
    रविवार के दिन स्नान कर के तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेवी की जड़ एकत्रित कर लें।
    इन तीनों वस्तुओं को काले कच्चे सूत में बाँधकर गंडा तैयार करें। गंडे को गले में धारण कर लें।

    2.  किसी परिचित को भूतबाधा से मुक्ति दिलाना :
    रविवार के दिन सफेद सूत और काले धतूरे का गंडा बना लें।
    अब इसे पीड़ित व्यक्ति की दायीं बाँह में बाँध दें, वह भूत-प्रेत की बाधा से मुक्त हो जाएगा।

    3. वायव्य आत्माओं से मुक्ति का गंडा :
    काले सूत के द्वारा सफेद घुंघुची की जड़ अथवा काले धतुरे की जड़ का गंडा बनाएँ।
    इस गंडे को दाएँ हाथ में बाँधें। अपकी समस्त वायव्य आत्माओं से ग्रस्त पीड़ा दूर हो जाएगी।
    यह प्रयोग किसी भी दिन किया जा सकता है। शनिवार को अगर किया जाए तो अधिक फलदायी होता है।

    4.  सफेद मदार एवं काले धतूरे की जड़ की माला जादू-टोने व अभिचार कर्मों से रक्षा करती है।

    विभिन्न रोगों में उपचार :-

    1.  सूजन: धतूरे के पत्तों का रस, अफीम व सोंठ को मिलाकर पीस लें और इसका लेप हाथ-पैर करें। इससे सूजन दूर होती है। इससे वात के कारण आई सूजन व दर्द भी दूर होता है।

    2.  सांस रोग: धतूरे को धूम्रपान की तरह सेवन करने से सांस रोग दूर होता है

    3. धतूरे के पत्तों का धूँआ दमा को शाँत करता है | तथा धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता है 

    4. . धतूरे की जड सूंघे तो मृगीरोग शाँत हो जाता है | धतूरे की फल को बीच से तरास कर उसमें लौंग रखे फिर कपड मिट्टी कर भूमर में भूने जब भून जावे तब पीस कर उसका उडद बराबर गोलीयाँ बनाये सबेरे साँझ एक -एक गोली खाने से ताप और तिजारी रोग दूर हो जाय और वीर्य का बंधेज होवे 

    5.  धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बाल का सर्दी दूर हो जाती है | और फोडा पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता है | बवासीर और भगन्दर पर धतूरे के पत्ते सेंक कर बाँधे स्त्री के प्रसूती रोग अथवा गठिया रोग होने से धतूरे के बीजों तेल मला जाता है!

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