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    आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यशाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में आयोजित



    उत्तर प्रदेश प्रयागराज 
    इनपुट: रमाशंकर गुप्ता 

    प्रयागराज, :---इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में श्री सत्य साईं सेवा समिति, प्रयागराज के प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा एक दिवसीय आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना था, जिसमें व्यावहारिक प्रदर्शन और हाथों-हाथ प्रशिक्षण शामिल था।
    कार्यशाला का उद्घाटन शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. धन्नंजय यादव ने किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन और तैयारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ऐसी प्रशिक्षण कार्यशालाएँ विद्यार्थियों को आपात स्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करती हैं। इस कार्यक्रम में डॉ. रूचि दुबे, डॉ. संगीता, और डॉ. देवी प्रसाद सहित कई संकाय सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लिया।
    प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत श्री समीर नेब और श्री सुजॉय चटर्जी के नेतृत्व में अग्नि सुरक्षा अभ्यास (फायर सेफ्टी ड्रिल) से हुई, जिसमें विद्यार्थियों को अग्निकांड से निपटने की व्यावहारिक तकनीकों की जानकारी दी गई। इसके बाद सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) और प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) प्रशिक्षण दिया गया, जिससे विद्यार्थियों को जीवन रक्षक तकनीकों की समझ और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ। इस कार्यशाला का मुख्य आकर्षण रेस्क्यू तकनीक सत्र था, जिसमें स्वयंसेवकों को विशेष उपकरणों के बिना लोगों को बचाने की विधियाँ सिखाई गईं। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि बिस्तर चादर, शर्ट और अन्य घरेलू वस्तुओं का उपयोग करके आपातकालीन स्ट्रेचर कैसे बनाया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने एकल व्यक्ति और दो व्यक्तियों द्वारा स्ट्रेचर ले जाने की तकनीकों पर भी व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया, जिससे घायलों को सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित किया जा सके।
    कार्यशाला का समापन डॉ. मनीष कुमार गौतम (एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने इस प्रशिक्षण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन में प्राप्त कौशल को वास्तविक जीवन में लागू करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम ने प्रतिभागियों के आत्मविश्वास और तत्परता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे वे किसी भी आपातकालीन स्थिति का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार हो सके।


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