ब्रह्मपुर बक्सर बिहार
इनपुट: विवेकानंद पांडेय
ब्रह्मपुर बक्सर बिहार :---हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू पूजा-पाठ के साथ ही जल का दान करने की है परंपरा, वैशाख में नदी स्नान और तीर्थ दर्शन जरूर करें
हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू हो गया है, ये महीना 12 मई तक रहेगा। इस महीने में धर्म-कर्म, मंत्र-जप, दान-पुण्य करने की परंपराएं हैं। वैशाख में गर्मी काफी अधिक रहती है, लेकिन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से ये महीना बहुत खास रहता है। जानिए वैशाख से जुड़ी खास बातें...
*सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत*
शास्त्रों में लिखा है कि - मासानां च वैशाखः श्रेष्ठः यानी सभी महीनों में वैशाख सर्वश्रेष्ठ है। वैशाख में सुबह जल्दी जागना चाहिए और कुछ देर उगते सूर्य के दर्शन करना चाहिए। ध्यान रखें सुबह के बाद तेज धूप में ज्यादा देर रहने से बचना चाहिए। उगते सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल डालें, इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
*पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा*
वैशाख मास में गर्मी काफी अधिक रहती है, इसलिए इस महीने में नदी और तीर्थ स्थलों की यात्रा करने का काफी अधिक महत्व है। नदियों में स्नान करने और तीर्थ दर्शन करने से मन शांत होता है और काम करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, शिप्रा, नर्मदा में स्नान कर सकते हैं। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
*वैशाख मास में दान करें ये चीजें*
"तपते मौसम में प्यासे को पानी और भूखे को अन्न देना महादान कहा गया है। इस महीने में गर्मी काफी अधिक रहती है, इन दिनों में सार्वजनिक जगहों पर प्याऊ लगवाएं, ये संभव न हो तो किसी प्याऊ में मटके का दान करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, जूते-चप्पल, छाता, कपड़े, भोजन दान करें।
*वैशाख मास में इन बातों का रखें ध्यान*
• रोज सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
• संयमित जीवनशैली अपनाते हुए सात्विक भोजन करें।
• ग्रंथों का पाठ करें। श्रीमद्भागवत, गीता, रामायण का पाठ पुण्यकारी होता है।
• वट वृक्ष और तुलसी पूजन करें।
• भगवान विष्णु, श्रीराम और शिव जी की विशेष पूजा करें। शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं।
• इस महीने में झूठ, क्रोध और अपशब्दों से बचना चाहिए। नशा और मांसाहार से दूर रहें।
• जल और अन्न का अपव्यय न करें। प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग न करें।