उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:सुरेश कुमार राजाराम
अयोध्या :---3मई से 5 मई तक नगर निगम अयोध्या ने दोहरे मोर्चे पर कार्रवाई करते हुए साफ संकेत दिया कि अब न तो प्रतिबंधित प्लास्टिक चलेगी और न ही अतिक्रमण। सबसे पहले नगर निगम के विशेष प्रवर्तन दल ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विरुद्ध सख्त अभियान चलाया, जिसमें लगभग 20 किलो प्रतिबंधित सामग्री जैसे प्लेट, चम्मच आदि ज़ब्त की गईं और मौके पर ही 3000 रुपये का जुर्माना वसूला गया। यह कार्रवाई कैप्टन वी.के. सिंह के नेतृत्व में नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा एवं अपर आयुक्त सुमित कुमार के निर्देश पर हुई, जिसमें कर संग्राहक श्री राजेश श्रीवास्तव सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।इसके बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान की बारी आई, जिसमें अयोध्या धाम क्षेत्र की सड़कों, नालियों और फुटपाथों से अवैध कब्जों को हटाया गया। खाली पड़ी सरकारी ज़मीनें भी इस कार्रवाई की ज़द में आईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि नगर निगम अब शहर की छवि और व्यवस्था से कोई समझौता नहीं करेगा। यह कार्रवाई ट्रैफिक प्रबंधन, स्वच्छता और नागरिक सुविधा की दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।लेकिन चिंता की बात यह रही कि कुछ तथाकथित अस्थायी प्रतिनिधियों और दुकानदारों ने इन जनहितकारी अभियानों का विरोध दर्ज कराया। सवाल यह है कि जब नगर निगम शहर को स्वच्छ, व्यवस्थित और पर्यावरण मित्र बनाना चाहता है, तो जनप्रतिनिधि जैसे लोग आखिर किस हैसियत में इस कार्य में रोड़ा बन रहे हैं? क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे न केवल सहयोग करें, बल्कि जनता को भी जागरूक करें?
अगर यही लोग नगर निगम के हर कदम पर राजनीति और विरोध का झंडा उठाएंगे, तो अयोध्या को प्लास्टिक मुक्त और अतिक्रमण मुक्त बनाना सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगा। जब जनता के प्रतिनिधि ही जनता के हित में किए जा रहे कार्यों को बाधित करेंगे, तो फिर व्यवस्था को कौन दिशा देगा? नगर निगम कोई एक व्यक्ति या विभाग नहीं, यह एक संस्था है जो अयोध्या के भविष्य को सवारने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है। ऐसे में प्रतिनिधियों को आगे बढ़कर सहयोग करना चाहिए, न कि अपनी अस्थायी कुर्सियों की अस्थायी राजनीति से जनता के हितों का दम घोंटना चाहिए।