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    गीष्म ऋतु मे लू (हीट स्ट्रोक) / गर्म हवाओं से बचाव हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जनहित मे जारी भारतीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानको को जानिएं :DM


    उत्तर प्रदेश अयोध्या
    इनपुट: संतोष मिश्रा 
    अयोध्या:---जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने गीष्म ऋतु मे लू (हीट स्ट्रोक) / गर्म हवाओं से बचाव हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जनहित मे जारी करते हुए बताया कि लू (हीट स्ट्रोक) भारतीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानको के निम्नानुसार है:-

    भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार 03 दिन तक वहाँ के सामान्य तापमान से 03 डिग्री० से० या अधिक बना रहे तो उसे लू या हीट वेव कहते है। विश्व मौसम संघ के अनुसार यदि किसी स्थान का तापमान लगातार 05 दिन तक सामान्य स्थानीय तापमान से 5 डिग्री० से० अधिक बना रहे अथवा लगातार दो दिन तक 45 डिग्री से० से अधिक का तापमान बना रहे तो उसे हीट वेव या लू कहते है।

    जब वातावरणीय तापमान 37 डिग्री से० तक रहता तो मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे ही तापमान 37 डिग्री से० से ऊपर बढ़ता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है। गर्मी में सबसे बडी समस्या होती है लू लगना। अंग्रेजी में इसें (हीट स्टोक) या सन स्टॉक कहतें है। गर्मी मे उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहनें से या गर्म हवा के झोंको से संपर्क में आने पर लू लगती हैं।

    कब लगती है लू
    गर्मी में शरीर के द्रव्य बाडी फल्यूड सूखने लगती हैं। शरीर से पानी नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। निम्न स्थितियों में लोगों को लू लगने की संभावना अधिक रहती हैं-
    1. शराब की लत हदय रोग पुरानी बीमरियों मोटापा, पार्किंसंस रोग अधिक उम्र अनियंत्रित मधुमेह ।
    2. ऐसी कुछ औषधियों जैसे डाययूरेटिक एंटीहिस्टामिनिक, मानसिक रोग की कुछ औषधियों।

    हीट स्ट्रोक के लक्षण
    1. गर्म लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना।
    2. तेज पल्स होना
    3. उथले श्वास गति मे तेजी ।
    4. व्यवहार में परिवर्तन भ्रम की स्थिति ।
    5. सिरदर्द, मितली, थकान और कमजोरी होना चक्कर आना ।
    6. मूत्र न होना अथवा इसमें कमी ।

    उपरोक्त लक्षणो के चलते मनुष्यो के शरीर मे निम्नलिखित प्रभाव पडता है -
    1. उच्च तापमान से शरीर के आतंरिक अंगो विशेष रुप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता हैतथा शरीर मे उच्च रक्तचाप उत्पन्न करता हैं।
    2. मनुष्य के हदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता हैं ।
    3. जो लोग एक या दो घण्टे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस 105 डिग्री एफ या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते है तों उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना प्रबल हो जाती है।

    हीट स्ट्रोक से बचनें के उपाय (क्या करें / क्या न करें)*
    हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए:-
    क्या करें:-
    1. प्रचार माध्यमो पर हीट येव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।
    2. अधिक से अधिक पानी पियें, यदि प्यास न लगी हो तब भी।
    3. हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें।
    4. धूप के चश्मे छाता, टोपी, व चप्पल का प्रयोग करें।
    5. अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ पैरो को गीले कपड़े से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछे अथवा नहलाये तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें।
    6. यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ ले जाएं।
    7. ओ०आर०एस०, घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माङ), नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।
    8. हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट कैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें।
    9. यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह लें।
    10. अपने घरों को ठण्डा रखें, पर्दे दरवाजे आदि का उपयोग करें। तथा शाम / रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल दें।
    11. पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार स्नान करें।
    12. कार्य स्थल पर तण्डे पीने का पानी रखें/उपलब्ध करायें।
    13. कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें।
    14. श्रमसाध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने / कराने का प्रयास करें।
    15. घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढायें।
    16. गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए।

    क्या न करें:-
    1. जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बन्द/खड़ी गाडियों में अकेला न छोड़े।
    2. दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिये जहां तक सम्भव हो घर के निचली मंजिल पर रहें।
    3. गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़ें न पहनें।
    4. जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
    5. अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रयोग न करें। अल्कोहल, चाय, व काफी पीने से परहेज करें।
    उक्त जानकारी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व श्री महेंद्र कुमार सिंह द्वारा दी गई है।

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