उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:---गुड़हल का पौधा अक्सर हर मौसम में फूल देता है, लेकिन गर्मियों में इसके फूल छोटे और कमज़ोर हो जाते हैं। यह देखकर कई बार लगता है कि कहीं कुछ कमी तो नहीं रह गई। गर्मियों की तेज़ धूप, सूखी मिट्टी और तेज़ हवा का असर पौधों पर साफ़ दिखने लगता है। गुड़हल जैसे नाजुक पौधे को ऐसे मौसम में थोड़ी अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। हर कोई चाहता है कि उसका पौधा हरा-भरा और फूलों से भरा रहे, लेकिन इसके लिए सही समय पर ध्यान देना ज़रूरी होता है। गर्मियों में जब तापमान 40℃ के आसपास हो, तो गुड़हल को पूरी दिन की धूप देना हानिकारक हो सकता है। ऐसे में धूप का समय नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी है। अगर हम उसकी ज़रूरतें समझें, तो वह फिर से पहले की तरह खिलने लगता है। आइए जानें कि गर्मियों में गुड़हल को क्या चाहिए और कैसे हम उसे बेहतर रख सकते हैं।
■ गर्मियों में गुड़हल में छोटे फूल आने के कारण
◆ अत्यधिक तापमान (35℃–45℃): तेज गर्मी में पौधा हीट स्ट्रेस में आ जाता है जिससे फूल बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
◆ मिट्टी में नमी की कमी: गर्मियों में मिट्टी जल्दी सूख जाती है, जिससे पौधे को पोषण नहीं मिल पाता और फूल कमजोर बनते हैं।
◆ बहुत ज़्यादा धूप: जब पौधा दिनभर तेज़ धूप में रहता है, तो उसकी ऊर्जा फूलों की बजाय अपने अस्तित्व को बचाने में लगती है।
◆ असंतुलित या खाद की कमी: फूल बनने के लिए फास्फोरस व पोटाश जरूरी होते हैं; इनकी कमी से फूल छोटे रह जाते हैं।
◆ हवा और लू का असर: गर्म हवाएँ पौधे की नमी तेजी से छीन लेती हैं जिससे कली पूरी तरह विकसित नहीं हो पाती।
◆ जड़ों का ज़्यादा तापित होना: गमले की मिट्टी गर्म होने से जड़ें प्रभावित होती हैं और पौधे का विकास धीमा हो जाता है।
■ गर्मियों में गुड़हल की देखभाल कैसे करें
◆ धूप का समय नियंत्रित करें: सुबह 7 से 11 बजे तक हल्की धूप दें, उसके बाद छायादार जगह या ग्रीन नेट का उपयोग करें।
◆ नियमित पानी दें: सुबह जल्दी या शाम को ठंडा पानी दें। मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए, पर पानी जमा न हो।
◆ मल्चिंग करें: मिट्टी पर सूखे पत्ते या घास बिछाएँ ताकि नमी बनी रहे और मिट्टी गर्म न हो।
◆ हर 15 दिन में जैविक खाद दें:
• सरसों खली का घोल
• वर्मी कम्पोस्ट
• केले के छिलके ये सभी फूलों को ज़रूरी पोषण देते हैं।
◆ सबसे बेस्ट खाद: बहोत से लोग ये मानते है कि सरसों की खली का घोल केवल सर्दियो की खाद है। पर ऐसा नहीं है। इसे आप गर्मियों में भी प्रयोग कर सकते है, इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश संतुलन में होते हैं और यह फूल बनने की प्रक्रिया को तेज करता है।
◆ गमले की जगह बदलें: हर 5–7 दिन में गमला थोड़ा घुमाएँ ताकि रोशनी सभी तरफ से मिल सके।
◆ पत्तों पर पानी छिड़कें: दोपहर बाद हल्के फव्वारे से पत्तियों पर पानी छिड़कें ताकि तापमान कम हो और पौधे को राहत मिले। शाम के 5 बजे के पहले।
◆ कीट नियंत्रण: हर 10–15 दिन में नीम तेल (5ml/लीटर पानी) का छिड़काव करें।
◆ प्रूनिंग न करें: तेज गर्मियों में प्रूनिंग से बचें, इससे पौधे पर दबाव बढ़ता है।
◆ मिट्टी को ढीला रखें: समय-समय पर मिट्टी की गुड़ाई करें, ताकि हवा और पानी जड़ों तक पहुँचे।
◆ धैर्य रखें और ध्यान दें: तेज गर्मियों में गुड़हल सुस्त हो सकता है, लेकिन सही देखभाल से वह दोबारा खिल उठता है।
■ गर्मियों में खाद का समय और मात्रा
◆ सरसों खली का घोल: 100 ग्राम खली को 1 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर छान लें। फिर 1:10 अनुपात में दस गुना पानी मिलाकर हर 15 दिन में दें।
◆ वर्मी कम्पोस्ट: हर 20 दिन में 2 मुट्ठी ऊपर से मिट्टी में मिलाएँ।
◆ केले के छिलके का पाउडर: हर 20–25 दिन में 1–2 चम्मच मिट्टी में मिलाएँ।
◆ गाय के गोबर की खाद (सड़ी हुई): महीने में एक बार 2–3 मुट्ठी डालें।
◆ छाछ: 1 लीटर पानी में 50ml छाछ मिलाकर महीने में एक बार दें। यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि बढ़ाता है।
■ अतिरिक्त सुझाव
यदि पौधा दिनभर तेज धूप में है, तो फूल कम होंगे और पत्तियाँ सिकुड़ सकती हैं। इसलिए गर्मियों में धूप का समय सीमित करें। बाकी मौसमों में गुड़हल को 5–6 घंटे की सीधी धूप देना अच्छा होता है।