उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तर प्रदेश:--बलिया बांसडीह के डॉक्टर की न्यायिक हिरासत में मौत से जिले में मातम, आक्रोशित चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार का किया ऐलान, न्याय न मिलने तक नहीं थमेगा आंदोलन
चिकित्सा जगत उस समय स्तब्ध रह गया जब बांसडीह हॉस्पिटल के एक समर्पित डॉक्टर की न्यायिक हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यह खबर जैसे ही फैली, पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। हर आंख नम हो उठी और हर डॉक्टर का दिल आक्रोश से भर गया।
मंगलवार को जिले भर के सैकड़ों डॉक्टरों ने एकजुट होकर बलिया में प्रदर्शन किया और इस मौत को सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि "चिकित्सा सेवा और मानवता" की हत्या बताया। धरना स्थल पर पहुंचे डॉक्टरों ने खुलकर कहा – "अगर हमें इंसाफ नहीं मिला, तो हम अपनी सफेद कोटें खुद उतार देंगे, लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
डॉक्टरों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की। साथ ही, अमृत फार्मेसी पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का गंभीर आरोप लगाया गया, जिसे इस पूरे मामले की जड़ बताया जा रहा है। डॉक्टरों का आरोप है कि इस भ्रष्टाचार के चलते एक निर्दोष डॉक्टर की जान गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर कार्यवाही का आश्वासन दिया, लेकिन डॉक्टरों ने दो टूक शब्दों में कह दिया – "अब सब्र की सीमा पार हो चुकी है। जब तक न्याय नहीं मिलता, हम एक सप्ताह तक चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार करेंगे। अगर सरकार को हमारे इस्तीफे चाहिए, तो हम वो भी देने को तैयार हैं, लेकिन चुप नहीं बैठेंगे।"
धरना स्थल पर उमड़ा समर्थन यह दर्शाता है कि यह आंदोलन किसी व्यक्तिगत दर्द का नहीं, बल्कि पूरे डॉक्टर समुदाय की अस्मिता और आत्मसम्मान की लड़ाई बन चुका है।
जिला अस्पतालों से लेकर निजी क्लीनिक तक सन्नाटा पसरा है, और जनता की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं — क्या मिलेगा न्याय, या फिर एक और सच्चाई दबा दी जाएगी?
यह केवल डॉक्टर की मौत नहीं थी, यह उस विश्वास की हत्या थी, जो एक समाज अपने चिकित्सक पर करता है। अब न्याय ही इस व्यवस्था की अंतिम सांस है।