उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:संतोष मिश्रा
अयोध्या :---अयोध्या हैदरगंज कानून और सोशल मीडिया के सहारे लड़ाई लड़ रही सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र हैदरगंज पारा राम की पूर्व स्टाफ नर्स का एक वीडियो पुनः सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है । तो वहीं दूसरी तरफ आरोपित पूर्व अधीक्षक अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे में अरेस्ट स्टे के लिए उच्च न्यायालय की खंडपीठ पहुंच गए । परंतु पीड़ित स्टाफ नर्स ने उच्च न्यायालय में कैबियट दाखिल कर रखा है। जिससे न्यायालय ने सुनवाई की तिथि आगामी सोमवार को रखी है । इसी बीच विशाखा समिति द्वारा गोपनीय जांच रिपोर्ट मीडिया में वायरल होने की जानकारी होते ही स्टाफ नर्स ने उच्च न्यायालय में रिट फाइल करने की बात कहते हुए एक वीडियो पुन: सोशल मीडिया पर वायरल किया है ।
मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हैदरगंज पारा राम का है। जहां पर पूर्व में तैनात रही स्टाफ नर्स ने पूर्व अधीक्षक पर अपने साथ शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने और गर्भपात कराने सहित मामले में अपराध संख्या 80/2025 थाना हैदरगंज में गंभीर धारा 64(1), 89, 238ए बीएनएस में मुकदमा दर्ज कराया है । स्टाफ नर्स का आरोप है कि उसने मुख्य चिकित्सा अधिकारी अयोध्या सहित जिले के आला अधिकारियों से ऑनलाइन शिकायती पत्र देकर न्याय की मांग किया था । परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई । थकहार कर वह एक वीडियो जारी किया । वीडियो में आरोपी अधीक्षक के विरुद्ध कार्यवाही की मांग किया । वीडियो वायरल होते ही रात्रि में ही पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर स्टाफ नर्स को समझा बुझाकर महिला पुलिस के साथ थाने ले आई । मामले में उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देशन में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया । मुकदमा दर्ज होने की खबर जैसे ही सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से फैली स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया । वहीं पुलिस ने बयान दर्ज करने के बाद न्यायालय में स्टाफ नर्स का बयान दर्ज कर दिया है । पीड़िता के अधिवक्ता योगेश पांडेय का कहना है कि पीड़िता का पुलिस ने 180 BNSS 2023 के तहत गोपनीय बयान दर्ज करने के बाद न्यायालय में 183 BNSS 2023 के तहत गोपनीय बयान दर्ज कराया है । शनिवार को स्टाफ नर्स के मामले में अचानक विशाखा समिति द्वारा जांच कर स्टाफ नर्स से शारीरिक शोषण की पुष्टि नहीं होने की मीडिया में खबर मिली है । जबकि उच्चतम् न्यायालय के अनुसार न्यायालय का बयान ही सर्वोपरि है । रेप पीड़िता का बयान व मेडिकल गोपनीय होता है ।
वही पीड़िता का बयान न्यायालय में दर्ज हो चुका है । मामले गोपनीय जांच समिति की रिपोर्ट का मीडिया पर प्रकाशित होना स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। इसके लिए उनकी मुवक्किल माननीय उच्च न्यायालय में जरिए अधिवक्ता इस बात को उठाएगी ।अति संगेय गंभीर प्रकरण होने के बावजूद जिसमेंं आजीवन कारावास तक की सजा है अभियुक्त चिकित्सक की गिरफ्तारी नही हुई जो कही ना कही अयोध्या पुलिस प्रसाशन पर सवालिया निशान उठा रहा है। जबकि अभियुक्त चिकित्सक माननीय उच्च न्यायालय में 09/07/2025 को रिट संख्या 6248/2025 फाइल करते हुए अरेस्ट स्टे की मांग किया है । जिसमें 10/07/2025 को सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनीष माधुर के द्वारा यह कहा गया कि इसके पूर्व पीड़िता के द्वारा कैविएट होने के कारण पीड़िता को बिना सुने कोई आदेश देना न्याय हित में आवश्यक नही होगा। फल स्वरुप आगामी सोमवार 14/07/2025 को अगली तिथि नियत की गई है ।