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    Flower गुड़हल में फूल नहीं आ रहे? जानिए 10 संभावित कारण और उनके असरदार समाधान



    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 

    बलिया उत्तरप्रदेश:---हाल ही में कई बागवानी प्रेमियों ने सवाल किया है— "गुड़हल का पौधा हरा-भरा है, लेकिन उसमें फूल नहीं आ रहे हैं, क्यों?"

    यह एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। पौधा जब हरा-भरा होता है, तब फूल न आना और भी अधिक निराश करता है।  

    इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—मिट्टी, खाद, धूप, छंटाई या कीट रोग। आइए इन सभी पहलुओं को एक-एक करके समझते हैं, और जानते हैं उनके सरल व व्यावहारिक समाधान, ताकि आपके गुड़हल पर फिर से सुंदर फूल खिल सकें।

    🌱 1) मिट्टी की गुणवत्ता और pH असंतुलन
    🔹 यदि मिट्टी बहुत भारी हो या उसका pH 7.5 से अधिक हो, तो फूल आने में बाधा होती है।  

    समाधान:
    • मिट्टी में गोबर खाद, रेत, नीम खली और सूखी पत्तियों की खाद मिलाएं।
    • महीने में एक बार 5ml नींबू रस 1 लीटर पानी में मिलाकर पौधे को दें, इससे pH संतुलन बनेगा।

    ☀️ 2) पर्याप्त धूप न मिलना
    🔹 गुड़हल को रोजाना कम से कम 5–6 घंटे की सीधी धूप चाहिए।  

    समाधान:
    • पौधे को ऐसी जगह रखें जहाँ सुबह की तेज़ धूप मिले।

    🍌 3) पोषण का असंतुलन
    🔹 अगर नाइट्रोजन अधिक हो तो पत्तियाँ खूब बढ़ेंगी, लेकिन फूल नहीं आएंगे।  

    समाधान:
    • फूलों के लिए पोटाश और फॉस्फोरस जरूरी है – इसके लिए केला खाद, लकड़ी की राख या बोन मील दें।
    • तरल जैविक खाद जैसे गुड़+छाछ जीवामृत या सीवीड एक्सट्रैक्ट का उपयोग 15 दिन में करें।

    ✂️ 4) अनियमित छंटाई
    🔹 पुरानी और बासी शाखाएँ फूल नहीं देतीं।  

    समाधान:
    • हर 2–3 महीने में हल्की छंटाई करें, विशेषकर बरसात या बसंत ऋतु के बाद।
    • छंटाई के बाद Seaweed या गोबर की हल्की खाद दें जिससे नई शाखाएँ मजबूत हों।

    🌧️ 5) अधिक नमी या बारिश का असर
    🔹 लगातार गीली मिट्टी से जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा तनाव में आ जाता है।  

    समाधान:
    • गमले में अच्छे जलनिकासी छिद्र हों।
    • पानी तभी दें जब ऊपरी सतह सूख जाए।
    • फफूंदनाशक घरेलू छिड़काव जैसे छाछ या नीम तेल का प्रयोग करें।

    🐛 6) कीट एवं रोग (जैसे स्पाइडर माइट्स, एफिड्स)
    🔹 ये कीट फूल बनने से पहले ही कली को खा जाते हैं।

    समाधान:
    • नीम तेल स्प्रे (5ml नीम तेल + 1 लीटर पानी + 1–2 बूंद लिक्विड साबुन) हर 7 दिन में करें।
    • संक्रमित पत्तियाँ तुरंत हटा दें।

    🪴 7) रूटबाउंड (जड़ें गमले में घुसकर चक्कर काटने लगती हैं)
    🔹 इससे पौधा तनाव में आकर फूल देना बंद कर देता है।  

    समाधान:
    • कम से कम 12–14 इंच का गमला लें।
    • हर 1.5–2 साल में पौधे को रीपॉट करें, जड़ों की सफाई कर नई मिट्टी डालें।

    🌬️ 8) हवा का अभाव
    🔹 बहुत घनी पत्तियाँ या हवा न चलने से फंगल रोग पनपते हैं और फूल नहीं आते।  

    समाधान:
    • पौधे को खुली और हवादार जगह पर रखें।
    • जरूरत हो तो हल्की छंटाई करके हवा का रास्ता बनाएं।

    🌿 9) पौधे की उम्र और किस्म
    🔹 कुछ किस्में मौसमी होती हैं, और पुरानी शाखाएँ निष्क्रिय हो जाती हैं।  

    समाधान:
    • समय-समय पर पुरानी शाखाओं को हटा दें।
    • खरीदते समय ऐसी किस्म चुनें जो निरंतर फूल देती हो (हाइब्रिड वैरायटी)।

    ⚠️ 10) मिट्टी में लवण जमा होना
    🔹 रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग मिट्टी में लवणीयता बढ़ा देता है, जो जड़ों को नुकसान पहुंचाता है।  

    समाधान:
    • महीने में एक बार गमले में अधिक मात्रा में पानी डालकर ‘लीचिंग’ करें ताकि लवण बाहर निकलें।
    • जैविक खादों पर ज़्यादा ध्यान दें।

    ♻️ 11) जड़ों को ऑक्सीजन न मिलना (गहराई में लगाने की गलती)
    🔹 कई बार बागवानी प्रेमी पौधे को गमले में बहुत गहराई में लगा देते हैं, जिससे जड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती। इससे जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधा तनाव में आ जाता है।  

    समाधान:
     • पौधे को उतना ही गहराई में लगाएं, जितना वह नर्सरी या पुराने गमले में था।
     • अत्यधिक बड़ा गमला न लें – पौधे के आकार के अनुसार पॉट चुनें। 
     • ऊपर से अतिरिक्त मिट्टी हटा दें, ताकि जड़ों को साँस लेने की जगह मिले।

    ⚒️ 12) गुड़ाई (निराई) में सावधानी न बरतना
    🔹 गमले की मिट्टी की गुड़ाई करते समय अगर बहुत गहराई तक चले जाएं या जड़ों को चोट पहुँच जाए, तो पौधा स्ट्रेस में आकर फूल देना बंद कर सकता है।  

    ✅ समाधान:
     • केवल ऊपरी 1 इंच तक ही हल्की गुड़ाई करें।  
     • जड़ क्षेत्र (फाइबर रूट्स) को नुकसान न पहुँचाएँ।
     • हर 10–15 दिन में सतही गुड़ाई करें ताकि मिट्टी में ऑक्सीजन बनी रहे।

    संक्षिप्त सुझाव

    ✔️ पौधे को पर्याप्त धूप और संतुलित खाद दें।
    ✔️ समय-समय पर हल्की छंटाई और रीपॉटिंग करें।  
    ✔️ गमले की मिट्टी को ढीला व जैविक बनाए रखें।  
    ✔️ कीट और फफूंद से बचाव के लिए घरेलू उपाय अपनाएं।  
    ✔️ पौधे को खुली जगह में रखें ताकि उसे ताज़ी हवा मिलती रहे।
    ✔️ समय समय पर खरपतवार को हटाते रहे।

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