उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:--गुडहल के ऊपर मेरे पिछले लेख पर कई पाठकों ने यह सवाल पूछा "बारिश के मौसम में गुड़हल की कलियां गिर रही हैं और पत्ते पीले पड़ रहे हैं, क्या करें?"
यह समस्या कई बागवानी प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। बारिश का मौसम पौधों की बढ़वार के लिए उत्तम तो है, लेकिन अगर देखभाल में थोड़ी भी चूक हो जाए, तो यही मौसम फूलों और पत्तियों के गिरने की वजह भी बन जाता है।
आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण के बारे में और समाधान के उपाय क्या क्या है।
🌺 गुड़हल में कलियां गिरने के प्रमुख कारण
🔸 पानी की अधिकता या कमी: बारिश के दौरान अक्सर मिट्टी में पानी जमा हो जाता है, जिससे जड़ें सड़ने लगती हैं। वहीं, कम बारिश होने पर पानी की अनियमितता से पानी की कमी होने पर पौधा कमजोर होकर कलियां गिरा देता है।
🔸 धूप की कमी: लगातार बादल छाए रहने से या छायादार स्थान में रखने से फूल पूरी तरह नहीं खिलते और झड़ जाते हैं। गुड़हल को कम से कम 4–6 घंटे सीधी धूप मिलनी चाहिए।
🔸 पोषक तत्वों की कमी: इस मौसम में भी पौधों को खाद देना जरूरी है। फॉस्फोरस और पोटेशियम की कमी से पौधे की वृद्धि रुकती है और कलियां भी गिरती हैं।
🔸 कीट व रोग:अगर पौधें पर कीटो का आक्रमण हो गया है तो पौधें की ग्रोथ रुकती है और रस चूसक कीटो के कारण पौधा उर्जा खोदेता है। जिससे कलियों गिर सकती हैं।
🔸 खराब जल निकास (ड्रेनेज): मिट्टी में पानी ठहरने से जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे पौधा तनाव में आकर कलियां गिरा सकता है।
🍃 पत्तों के पीले होने के कारण
🔸 तनाव: लगातार मिट्टी गीली रहना या बार-बार सूख जाने से, दोनों ही स्थितियों में पत्ते पीले पड़ सकते हैं।
🔸 सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी: मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसे आयरन, मैग्नीशियम या सल्फर भी कारण हो सकता है।
🔸 नाइट्रोजन की कमी: पत्तियों के पीलेपन का एक मुख्य कारण नाइट्रोजन की कमी भी होती है।
🔸 कीट/रोग का असर: सफेद मक्खी, एफिड्स आदि पत्तियों से रस चूसते हैं, जिससे वे पीली और कमजोर हो जाती हैं।
✅ समाधान और देखभाल के व्यावहारिक उपाय
🔹 पानी देने की विधि: मिट्टी की ऊपरी परत (1–2 इंच) सूखने के बाद ही पानी दें। गमले में जल निकास छेद अवश्य रखें।
🔹 धूप की व्यवस्था करें: गुड़हल को रोज़ 4–6 घंटे की सीधी धूप मिलनी चाहिए। आवश्यकता हो तो गमले को स्थानांतरित करें।
🔹 संतुलित जैविक खाद दें: फॉस्फोरस और पोटाश युक्त खाद जैसे वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद, या केले के छिलकों से बनी खाद दें।
🔹 कीट नियंत्रण: थ्रिप्स या सफेद मक्खी दिखे तो नीम तेल, साबुन-पानी (सॉफ्ट डिटर्जेंट) या छाछ का छिड़काव करें।
🔹 मिट्टी की तैयारी और गुणवत्ता सुधार: बारिश से पहले और बाद में मिट्टी की ऊपरी परत को हल्के से ढीला करें। इसमें गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और थोड़ी रेत या परलाइट मिलाएं।
🏡 घरेलू खाद और जैविक पोषण उपाय
🔸 केले के छिलके: फॉस्फोरस व पोटाश का अच्छा स्रोत
🔸 चायपत्ती (उबली हुई, बिना चीनी की): सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए उपयोगी
🔸 नीम तेल/छाछ: हल्के कीटों और फफूंदी के लिए प्रभावी
☂️ अत्यधिक बारिश से बचाव
🔹 बहुत ज्यादा बारिश हो तो गमले को अस्थायी शेड या छत के नीचे रखें।
🔹 सुनिश्चित करें कि गमले में पानी जमा न हो।
✂️ प्रूनिंग (छंटाई) के लाभ
🔹 बारिश के बाद हल्की छंटाई करने से नई शाखाओं का विकास होता है।
🔹 इससे पौधा घना बनता है और अधिक फूल आने की संभावना बढ़ती है।
👀 निरंतर अवलोकन और जागरूकता
🔸 हफ्ते में एक-दो बार पौधे का निरीक्षण करें।
🔸 कीट या रोग दिखते ही तुरंत जैविक उपाय अपनाएं।
🔸 जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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