उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:संतोष मिश्रा
अयोध्या :---पूराकलंदर क्षेत्र की दिल दहलाने मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना है संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर देने वाली घटना है एक परिवार अपनी ही बुजुर्ग मां को ई-रिक्शा से छोड़ कर फरार हो जाते है। बुजुर्ग महिला, कांपते हाथ, आंखें बुझी हुई, चाल नहीं बस सांस चल रही।आज क्या समय आ गया जो मां बाप एक बच्चे होने के लिए दुआ मांगते हैं मंदिर जाते पूजा पाठ करते क्या पता होता है वहीं औलाद उनको मरने के लिए सड़कों पर छोड़ आयेगी
वे दोनों उसे नीचे उतारती हैं, जैसे कोई बोझ गिराया जाता है।फिर रिक्शा मुड़ता है... और मां पीछे छूट जाती है लावारिस हाँ, मां जिसने कभी गोद में लोरी दी थी, अब वही मां सड़क किनारे “अनजानी लाश बन गई।
*यह सिर्फ एक खबर नहीं है…यह वो आईना है जिसमें समाज की झुर्रियां साफ दिखती हैं।
हम *मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा करते हैं, लेकिन अपने आंगन की मां को दवा नहीं दे पाते।
हम *मंचों से“मातृभक्ति का भाषण झाड़ते हैं, और असल ज़िंदगी में मां को ही कूड़े की तरह बाहर फेंक आते हैं।*क्या यही विकास है?
क्या यही नए भारत की तस्वीर है जहां रिश्तों का वजन अब “खर्चे में नापा जाता है?किसी ने कहा था—जब मां को घर से बाहर किया जाता है, तब घर ईंट-पत्थर बन जाता है।"
पर यहां तो मां को सीधे सड़क पर छोड़ आए!संवेदना की मौत तो तब हुई जब पीछे मुड़कर देखने वाला भी कोई नहीं था।
अब पुलिस जांच कर रही है, फुटेज खंगाले जा रहे हैं…पर उस मां की आंखों में जो विश्वास टूटा, उसे कौन जोड़ेगा?उस लम्हे में उसकी दुनिया तो उजड़ चुकी थी और हमारे समाज का असली चेहरा नंगा हो चुका था।
चलते-चलते एक सवाल
“अगर कल आप बीमार हों, चल न सकें, बोल भी न सकें…तो क्या आपको भी ऐसे ही फेंक दिया जाएगा?”
सोचिएगा ज़रूर…
क्योंकि आज वो मां थी, कल आपकी बारी भी आ सकती है।