नई दिल्ली
इनपुट:सोशल मीडिया
नई दिल्ली:---समंदर के बीच तेज़ रफ्तार से चलता एक विशाल युद्धपोत, और फिर अचानक एक शानदार 360° मोड़ — वो भी पूरी सटीकता और नियंत्रण के साथ। यह नज़ारा सिर्फ़ रोमांचक नहीं था, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का पल था। ये कोई आम युद्धाभ्यास नहीं था, बल्कि यह था भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत की ताकत और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन।
INS विक्रांत आज आत्मनिर्भर भारत का एक चमकता हुआ प्रतीक है। यह केवल एक जहाज़ नहीं, बल्कि भारतीय इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और नौसेना के सैकड़ों कर्मियों की वर्षों की मेहनत, समर्पण और स्वदेशी तकनीक पर भरोसे का नतीजा है।
इसका डिज़ाइन पूरी तरह भारत में तैयार किया गया और इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड में हुआ। लगभग 45,000 टन वज़न वाले इस युद्धपोत में 30 से अधिक लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं, और यह 28 नॉट्स यानी लगभग 52 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से समुद्र में दौड़ सकता है।
2 सितंबर 2022 को नौसेना में शामिल हुआ INS विक्रांत उस सपने की उड़ान है, जिसमें भारत ने खुद पर भरोसा किया — और आज वह भरोसा एक चलती-फिरती समंदर की ताकत बन चुका है। इसकी बनावट में 76% से अधिक सामग्री स्वदेशी है और यह बताता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में भी पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
जब यह विशाल युद्धपोत लहरों को चीरते हुए पूरी रफ्तार से समंदर पर बहता है, तो वह दृश्य सिर्फ़ आंखों को नहीं, आत्मा को भी छू जाता है। वह अहसास कराता है कि भारत कितनी दूर आ चुका है, और आगे कितनी ऊंचाइयों तक जा सकता है।