उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:---इंजेक्शन वाली घीया (या लौकी) और बिना इंजेक्शन वाली घीया को पहचानने के लिए नीचे कुछ स्पष्ट और व्यावहारिक अंतर दिए गए हैं, जिनसे आप बाजार या घर पर ही नकली और असली की पहचान कर सकते हैं:
🧪 1. रंग और चमक से पहचान
इंजेक्शन वाली घीया:
बहुत चमकदार और आकर्षक रंग की होती है।
त्वचा (छिलका) ज्यादा मुलायम और चिकनी लगती है।
कभी-कभी बहुत एकसमान हरी होती है — प्राकृतिक दिखती ही नहीं।
बिना इंजेक्शन वाली घीया:
थोड़ी कम चमकदार और हल्की मैटी लुक वाली होती है।
ऊपर थोड़े धब्बे, रेखाएं या प्राकृतिक असमानताएं दिख सकती हैं।
रंग हरा होते हुए भी हल्का या गाढ़ा मिश्रित हो सकता है।
💉 2. इंजेक्शन के निशान (Injection Marks)
इंजेक्शन वाली घीया में:
ऊपरी हिस्से (डंठल के पास) या बीच में कहीं छेद जैसा निशान दिख सकता है।
वह स्थान हल्का सड़ा हुआ या नर्म भी हो सकता है।
पास से देखने पर सुई जैसी लाइन या दाग भी दिख सकता है।
🧴 3. गंध (Smell Test)
कटने पर तेज रसायनिक गंध (chemical smell) आ सकती है — जैसे दवा जैसी।
बिना इंजेक्शन वाली घीया में ताजा, हल्की हरी सब्ज़ी जैसी प्राकृतिक गंध होती है।
💧 4. रस और गूदा
इंजेक्शन वाली घीया में अधिकतर असामान्य मात्रा में पानी निकलता है।
गूदा (pulp) बहुत सफेद और मुलायम हो सकता है — असामान्य रूप से।
कभी-कभी अंदर से थोड़ा गला हुआ या पिला गूदा भी दिखता है।
🥄 5. स्वाद (Taste)
पकाने पर स्वाद थोड़ा कड़वा या अजीब हो सकता है।
असली घीया का स्वाद हल्का मीठा या सामान्य होता है।
🔥 6. पकने के समय पर असर
इंजेक्शन वाली लौकी पकने में जल्दी गल जाती है और पानी छोड़ती है।
बिना इंजेक्शन वाली घीया संतुलित रूप से गलती है और स्वाद बेहतर होता है।
📌 स्वास्थ्य चेतावनी:
इंजेक्शन वाली सब्ज़ियों में अक्सर ऑक्सिटॉसिन, यूरिया या अन्य रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं जो हार्मोनल असंतुलन, किडनी/लिवर की परेशानी, और पाचन तंत्र की खराबी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
✔ सुझाव:
स्थानीय किसान मंडी या भरोसेमंद सब्ज़ी विक्रेता से ही खरीदें।
शक हो तो एक बार घीया को छीलकर सूंघें या पानी में काटकर देखें।
बहुत अधिक एकसमान और परफेक्ट दिखने वाली सब्ज़ियों से थोड़ा सावधान रहें।