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    UP में फिर प्रेम की हदें पार!


    उत्तर प्रदेश उन्नाव
    इनपुट:सोशल मीडिया 

    चार बच्चों की मां पर फिदा हुई युवती, साथ रहने की ज़िद पर अड़ी, थाने में हंगामा, पंचायत पस्त।

    उन्नाव उत्तर प्रदेश:---जिले में एक बार फिर रिश्तों की सरहदें टूटती दिखीं, जब एक युवती ने शादीशुदा महिला से 'इश्क़' का एलान कर दिया। चार बच्चों की मां के साथ ज़िंदगी बिताने की ज़िद पर अड़ी युवती ने न पंचायत की परवाह की, न समाज की और न ही पुलिस की। मामला थाने पहुंचा तो युवती ने साफ कहा –

    “अलग किया तो जान दे दूंगी!”मुंबई तक पीछा, फिर गांव में बवाल

    बताया जा रहा है कि पांच साल पहले शुरू हुआ यह ‘रिश्ता’ अब सामाजिक मर्यादाओं की दीवारें फांद चुका है। बीघापुर क्षेत्र की एक विवाहित महिला, जो चार बच्चों की मां है, से बिहार क्षेत्र की 25 वर्षीय युवती को लगाव हो गया। महिला जब मुंबई पति के पास गई, तो युवती भी उसके साथ वहां जा पहुंची।

    कुछ दिन बाद दोनों गांव लौटीं और अब युवती महिला के साथ रहने की ज़िद पर अड़ गई। महिला ने जब इंकार किया, तो युवती ने *खुदकुशी की धमकी* दे डाली। गांव में *तमाशा बन गया, पंचायत बैठी, लेकिन प्रेम की 'जिद' के आगे सब बेबस दिखे।*

    पुलिस थाने में हाई वोल्टेज ड्रामा

    थक-हारकर मामला बिहार थाने पहुंचा। यहां भी युवती के तेवर कम नहीं हुए। कहने लगी—

    “वो मेरी है, और रहेगी! किसी ने रोका तो जान दे दूंगी!”

    पुलिस ने आखिरकार महिला और युवती को *शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया।

    समाज का सवाल – ये 'प्रेम' है या सार्वजनिक विद्रोह?

    गांव वाले दबी जुबान में कहते हैं कि ये सिर्फ ‘प्यार’ नहीं, सामाजिक ढांचे के खिलाफ खुला एलान-ए-जंग है।

     “अब मांओं को भी डर है कि बेटियों को किससे बचाएं – लड़कों से या लड़कियों से?” – एक बुज़ुर्ग महिला की टिप्पणी।

    ऐसा मामला पहले भी आया था सामने

    उन्नाव पहले भी ऐसे रिश्तों का गवाह बन चुका है। छह महीने पहले एक 18 वर्षीय युवती अपनी भाभी से शादी करने मायके पहुंच गई थी। मामला इतना बढ़ा कि पति को पत्नी से अलग होना पड़ा, और पूरा वाकया सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

    🟥 अब सवाल ये है:

     क्या ग्रामीण भारत तैयार है ऐसे रिश्तों को स्वीकारने के लिए?
    क्या कानून की छाया में समाज की बुनियादें हिल रही हैं?

    -📣 अगले अंक में:
    👉 "जब पंचायतें बेबस हो जाएं और पुलिस मजबूर..." – समलैंगिकता पर गांवों की सच्चाई।
    👉 कानून, समाज और परंपरा – टकराव की तीन दिशाएं

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