बिहार उन्नाव
इनपुट:सोशल मीडिया
चार बच्चों की मां पर दिल हार बैठी युवती, पंचायत बोली “क्या करें?”, पुलिस बोली “चालान करो!”
बिहार उन्नाव :--इश्क़ अंधा होता है : ये तो सुना था। लेकिन उन्नाव में इश्क़ अब ना जात देखता है, ना उम्र, ना शादीशुदा का बिल्ला और ना चार बच्चों की भीड़। यहां तो एक युवती ने सीधे शादीशुदा महिला को अपना “जीवनसाथी” घोषित कर दिया है और ज़िद ठान ली है कि अब तो इसी के साथ रहूंगी — चाहे गांव जले या थाना।
गांव हक्का-बक्का, पंचायत खामोश
बिहार थाना क्षेत्र के एक गांव में लोग सुबह की चाय पी रहे थे और शाम तक पंचायत में माथा पीट रहे थे। युवती की घोषणा थी –
"ये मेरी मोहब्बत है, इसे कोई नहीं छीन सकता!"
पंचायत समझाने आई, लेकिन यहां कोई जात-पात का झगड़ा नहीं था, न ज़मीन का विवाद — बस मामला दिल का था।
चार बच्चों की मां के साथ *"प्रेम बंधन"* बांधने पर युवती अड़ी रही, और गांव वालों के होश उड़ते रहे।
मुंबई तक पीछा, थाने में धमकी
महिला कुछ समय पहले अपने पति के पास मुंबई चली गई थी। युवती ने भी मौके पर चौका मार दिया और *“छोटा पैकेट बड़ा धमाका”* बनते हुए वहीं पहुंच गई।
मुंबई में साथ रहने के बाद जब दोनों लौटीं, तो गांव का माहौल कुछ ज़्यादा ही “प्रगतिशील” हो गया।
रविवार को जब महिला ने दूरी बनानी चाही, तो युवती ने सीधा थाने में ऐलान किया – “अलग किया तो जान दे दूंगी!”
थाना भी समझ नहीं सका कि इसे घरेलू मामला मानें, प्रेम प्रसंग या ‘आधुनिक रिश्तों का दुष्परिणाम’।
पुलिस ने किया चालान, पंचायत ने धोए हाथ
थाना बिहार ने दोनों का शांतिभंग में चालान कर मामले से “कानूनी दूरी” बना ली।
गांव वालों ने भी तय किया —
“अब जिसकी जो मर्ज़ी, वो करे… हम क्यों परेशान हों!”
सवालों के घेरे में समाज और कानून
अब सवाल ये नहीं कि कौन किससे प्रेम कर रहा है। सवाल ये है कि जब समाज भौचक्का, पंचायत लाचार और पुलिस ‘शांतिभंग’ में उलझी हो,तो आने वाले समय में *रिश्तों की परिभाषा कौन तय करेगा?
“चार बच्चों की मां से इश्क़! अब इससे ज़्यादा क्या लिखें…” – गांव के बुजुर्ग की तिलमिलाई प्रतिक्रिया।
पिछला मामला भी कम चौंकाने वाला नहीं था
याद दिला दें, उन्नाव में इससे पहले एक युवती अपनी भाभी से शादी की ज़िद पर मायके तक डेरा डाल चुकी है। पति ने पत्नी से अलगाव किया और इंटरनेट पर पूरा मामला वायरल हुआ —
गांव वाले तब भी बोले थे — “ये क्या चल रहा है?”* अब फिर बोले — “अब तो कुछ भी हो सकता है!”
📌 क्या ये प्रेम है या सामाजिक विद्रोह?
👉 पंचायतें अब ‘प्रेम विशेषज्ञ’ बनती दिख रही हैं।
👉 पुलिस का नया पाठ: प्रेम में गिरफ्तार नहीं, चालान करो।
👉 गांव वालों की सोच: “हमसे ना हो पाएगा!”