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    कढ़ी पत्ता (curry plant) को मिठ्ठा नीम भी कहा जाता हैं।आज हम जानेगे इसको लगाने का तरीका : संतोष कुमार गुप्ता

    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: अमीत कुमार गुप्ता 
    बलिया उत्तरप्रदेश:--कढ़ी पत्ता (curry plant) को  मिठ्ठा नीम भी कहा जाता हैं।आज हम जानेगे इसको लगाने का तरीका :

    कढ़ी पत्ता का पौधा कैसे लगाए :

    कढ़ी पत्ता के पौधे को बीज और कलम दोनों तरीके से लगा सकते हैं। इसे मार्च-अप्रैल और सितंबर-नवम्बर में लगा सकते हैं। एक गमले में मिट्टी भर लें और उसके अंदर बीज डालकर, 2 से 3 इंच मिट्टी से ढ़क दें। फिर मिट्टी में पानी डालें और गमले को 5-6 घंटे तक धूप मिलने वाली जगह पर रखें। बीज का अंकुरण 7 से 10 दिन में हो जाता हैं।

    कढ़ी पत्ता की देखभाल :
    कढ़ी पत्ता की देखभाल में जरूरी हैं, समय-समय पर मिट्टी की गुड़ाई, मिट्टी में नमी, सही मात्रा में सूर्य प्रकाश, उचित मात्रा में खाद, साथ ही पौधे की समय-समय पर साल में 2 बार कटाई-छंटाई (फरवरी या अक्टूबर) करते रहना चाहिए। इससे पौधा हरा-भरा और तेजी से बढ़ता हैं।

    मिट्टी :
    कढ़ी पत्ता का पौधा किसी भी मिट्टी में आसानी से ग्रो कर सकता हैं। अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी पौधे के लिए अच्छी होती हैं। घर पर मिट्टी तैयार करने के लिए 50% मिट्टी, 30% गोबर की खाद, 20% रेत लें और उसमें दो मुट्टी नीम खली मिला दें।

    पानी और प्रकाश :
    कढ़ी पत्ता के पौधे की मिट्टी को कभी भी अधिक पानी न दें क्योंकि इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि मिट्टी नम होनी चाहिए। कढ़ी पत्ते के पौधे को 6 से अधिक घंटे तक धूप जरूर दें।

    तेज वृद्धि के लिए खाद :
    1) कढ़ी पत्ता में किसी केमिकल खाद का प्रयोग न करें।
    2) 100 ml छाछ को 1 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन में एक बार पौधे के ऊपर स्प्रे करें और जड़ में भी डालें।
    3) चावल धोने के पानी को 15 दिन प्रिसर्व करके रखें। फिर 15 दिन बाद 5 गुना पानी और मिलाकर महीने में एक बार जड़ में डालें।
    4) गोबर की खाद का प्रयोग 2 महीने में एक बार करें। 
    5) तेजी से बढ़ाने के लिए अंडे के छिलके, एप्सम साल्ट, चाय पत्ती की खाद, केले के छिलके की खाद का महीने में एक बार प्रयोग करें।

    मिट्टी की गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण :
    हफ्ते में एक बार पानी देने के 1 दिन पहले और पानी देने के 1 दिन बाद मिट्टी की गुड़ाई करें। कोई खरपतवार दिखें तो उसे तुरंत निकाल दें।

    कढ़ी पत्ता से खुशबू नहीं आने पर :
    पत्तों से खुशबू नहीं आने का सबसे बड़ा कारण पौधों का सही तरीके से ध्यान नहीं रखना हैं। अगर आप पौधे को लगातार खाद नहीं देंगे, केवल पानी ही डालते रहेंगे, तो पत्तियां अपनी खुशबू खो देती हैं, इसलिए अगर आप पौधे का ध्यान नहीं रखेंगे, तो इसमें न ही सुगन्ध होगी और न ही पकाने में इसका स्वाद आएगा।

    करी पत्ता के स्वास्थ्य लाभ :
    कढ़ी पत्ता में विशिष्ट सुगन्ध और तीखे स्वाद के अलावा विटामिन ए, बी, सी, बी12, कैल्शियम और आयरन प्रचुर मात्रा में होता हैं। यह प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता हैं। कढ़ी पत्ते की तासीर ठंडी होती हैं जो पेट को ठंडक पहुंचाता हैं, जिससे पाचन से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा मिलता हैं। भोजन में कढ़ी पत्ता को शामिल करने से पेचिश, दस्त, मधुमेह, मॉर्निंग सिकनेस और मतली के उपचार में मदद मिलती हैं।

    1) कढ़ी पत्ता कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता हैं। यह अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता हैं और एथेरोस्क्लेरोसिस और हृदय रोग से बचाता हैं।

    2) कढ़ी पत्ते में दूध से 800% अधिक कैल्शियम होता हैं जो गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों के लिए उत्तम होता हैं।

    3) कढ़ी पत्ता बालों के विकास को तेज करता हैं। क्षतिग्रस्त बालों के लिए, ढीले बालों के लिए, पतले बालों के लिए, झड़ते बालो के लिए इसके अलावा स्कैल्प के फफूंद संक्रमण, रूसी आदि के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता हैं।

    4) कढ़ी पत्ता आंखों के स्वास्थ्य के लिए कैरोटीनॉयड युक्त विटामिन ए से भरपूर होता हैं, जिससे कॉर्निया को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती हैं।

    5) कढ़ी पत्ता कार्बाज़ोल अल्कलॉइड यौगिक जिनमें एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी और विरोधी गुण से भरपूर होते हैं जो बैक्टीरिया को खत्म करता है।

    6) कढ़ी पत्ता वजन घटाने को बढ़ावा देता है। शरीर में जमा चर्बी को दूर करने के लिए एक बेहतरीन उपाय हैं।

    7) कढ़ी पत्ता के सेवन से कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी का असर कम होता हैं और क्रोमोसोमल डैमेज और बोन मैरो प्रोटेक्शन से भी बचाव होता है।

    8)रक्त संचार, मासिक धर्म के मुद्दों, सूजाक, दस्त को हल करने में मदद करता है। नियमित आहार में शामिल करने से दर्द को कम करता हैं।

    9) कढ़ी पत्ता में मधुमेह-रोधी गुण होते हैं, इसमें पाए जाने वाले एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं।

    10) कढ़ी पत्ता घावों के इलाज में मदद करता हैं। इसका पेस्ट लगाने से घाव, रैशेज, फोड़े-फुंसी और हल्की जलन पर उपचारात्मक प्रभाव पड़ता है। पत्तियों का पेस्ट किसी भी प्रकार के हानिकारक संक्रमण को रोकने और खत्म करने में भी मदद करता हैं।

    🤔कढ़ी पत्ता का इस्तेमाल कैसे करें :
    इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने और बीमारी पहुंचाने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। इसका सेवन हर व्यक्ति को प्रतिदिन करना जरूरी हैं। सुबह खाली पेट 7 से 8 पत्तियों को चबाने के बाद एक गिलास पानी पी लेना चाहिए।

    👉🏻कढ़ी पत्ता का फल :
    कढ़ी पत्ता के बेरी को खाया जा सकता हैं या बीज निकालकर रस बनाया जा सकता हैं। इसके रस का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में टॉनिक के रूप में भी किया जाता हैं।

    सावधानियाँ :
    1) यदि आपको अस्थमा या एलर्जी हैं तो कढ़ी पत्ता खाने से बचें।
    2) लंबे समय तक बालों पर कढ़ी पत्ते का इस्तेमाल बालों को नुकसान पहुंचा सकता हैं। कढ़ी पत्ता और बालों के तेल को एक साथ बार-बार लगाने से बचें।
    3) कढ़ी पत्ते की छोटी फलियाँ खाने से बचना चाहिए।

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