उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: अमीत कुमार गुप्ता
बलिया उत्तरप्रदेश:---पत्थरचट्टा के औषधीय गुणों के कारण इसे चमत्कारी पौधा कहा जाता हैं। यह पौधा सदियों से आयुर्वेद में अपनी जगह बनाए हुए हैं। इसका सेवन करने से पथरी, मधुमेह, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, जोड़ों के दर्द, गैस-अपच से राहत मिलती हैं।
पत्थरचट्टा, जिसे लाइफ प्लांट भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसके पत्तों और जड़ों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता है। पत्तों की तरह, इसकी जड़ों में भी कई औषधीय गुण होते हैं, जैसे कि सूजनरोधी, रोगाणुरोधी, और दर्द निवारक गुण। पत्थरचट्टा की जड़ का उपयोग किडनी स्टोन, गठिया, और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है।
पत्थरचट्टा की जड़ के फायदे:
• गुर्दे की पथरी: पत्थरचट्टा की जड़ का काढ़ा गुर्दे की पथरी को घोलने और निकालने में मदद करता है।
• गठिया: इसकी जड़ में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं में जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
• घाव भरना: पत्थरचट्टा की जड़ का लेप घावों को जल्दी भरने में मदद करता है और संक्रमण को रोकता है।
• ब्लड प्रेशर: पत्थरचट्टा की जड़ का सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
• दांत दर्द: पत्थरचट्टा की जड़ का उपयोग दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
• योनि संक्रमण: पत्थरचट्टा की जड़ से बना काढ़ा योनि संक्रमण से राहत दिलाता है।
• सिरदर्द: पत्थरचट्टा की जड़ का लेप सिरदर्द और माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाता है।
• सूजन: पत्थरचट्टा की जड़ में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
पत्थरचट्टा की जड़ का उपयोग कैसे करें:
• काढ़ा: 5-6 पत्तों और 1 इंच जड़ को 1 गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसे छानकर पिएं।
• लेप: पत्तों और जड़ों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
• रस: पत्तों और जड़ों को पीसकर रस निकालें और शहद के साथ मिलाएं। इसे सुबह खाली पेट पिएं।
सावधानियां:
• गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान पत्थरचट्टा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
• किसी भी प्रकार की एलर्जी होने पर इसका उपयोग न करें।
• इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है।