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    इंटर में आए केवल 60% नंबर, निराश बेटे को बधाई देते हुए यूपी के BSA ने कह दी दिल छू लेने वाली बात




    उत्तर प्रदेश अलीगढ़ 
    इनपुट:सोशल मीडिया 

    2 दिन पहले की एक अनुकरणीय खबर जो मिस हो गई थी।


    अलीगढ़:--राकेश सिंह अलीगढ़ में बेसिक शिक्षा अधिकारी हैं। उन्‍होंने सीबीएसई बोर्ड के नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर दिल छू लेने वाला पोस्‍ट किया है। कम नंबर आने से या फेल हो जाने से निराश बच्‍चों को उन्‍होंने संदेश दिया है कि नई शुरुआत कभी भी हो सकती है।

    13 मई को सीबीएसई बोर्ड 10वीं और 12वीं के रिजल्‍ट आए। कई बच्‍चे ऐसे रहे जिनको उम्‍मीद से कम नंबर मिले तो वे निराश नजर आए। ऐसे बच्‍चों को यह खबर काफी मोटीवेट करेगी। 

    अलीगढ़ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने अपने बेटे को 60% नम्बरो से इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने की बधाई देते हुए जो संदेश दिया है, उसे पढ़कर बच्‍चों और उनके पैरेंट्स का मन जरूर हल्‍का होगा। 

    बीएसए ने अपने संघर्षों के बारे में बताया है कि कैसे कम परसेंट के बावजूद वह उच्‍च पद पर पहुंचने में सफल रहे।


    बीएसए राकेश सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा है- 'मेरे बेटे ऋषि ने 60% के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं बेटा। जैसे ही मैंने अपने बच्चे को बधाई दिया, उसने पूछा पापा आप नाराज तो नहीं हैं! इतने कम नंबर आए हैं। मैंने उसे बताया कि नहीं मैं नाराज नहीं बल्कि आज उतना खुश हूं जितना मैं कभी अपने सेलेक्शन पे भी नहीं हुआ होगा। क्योंकि तुम्हारे तो 60% नंबर है मेरा स्नातक में 52 % ही नंबर था। हाई स्कूल में 60% था इंटर। इंटर में 75% नंबर था। 


    जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं या उत्तीर्ण नहीं हो सके हैं उनको निराश होने की और उनके माता-पिता को घबराने की जरूरत नहीं है। हम जिंदगी की शुरूआत कही से कभी भी कर सकते हैं।'

    मेरे बेटे ऋषि ने 60% के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं बेटा। जैसे ही मैंने अपने बच्चे को बधाई दिया उसने पूछा पापा आप नाराज तो नहीं हैं इतने कम नंबर आए हैं। मैंने उसे बताया कि नहीं मैं नाराज नहीं बल्कि आज उतना खुश हूं जितना मैं कभी अपने सेलेक्शन पे भी नहीं हुआ होगा। क्योंकि तुम्हारे तो 60% नंबर है मेरा स्नातक में 52 % ही नंबर था हाई स्कूल में 60% था इंटर। में 75% नंबर था। जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं या उत्तीर्ण नहीं हो सके हैं उनको निराश होने की जरूरत नही है

    राकेश सिंह आगे लिखते हैं- 'जब मैंने इंटर कर लिया और स्नातक का एंट्रेंस टेस्ट देने गया था, तब मुझे अकबर-बीरबल, बाबर, राज्यपाल और बैडमिंटन जैसे सवाल नहीं आते थे। मैंने एंट्रेंस टेस्ट में इनसे संबंधित सारे सवालों को गलत किया था फिर भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मेरा प्रवेश हुआ। जिस लड़के को इतिहास का एबीसीडी न पता हो उसने वर्ष 2000 में लोक सेवा आयोग में इतिहास में 80% नंबर हासिल किया। मैने करके दिखाया। यह मेरी एक ज़िद थी। हम जिंदगी में कहीं से कभी भी अच्छी शुरुआत कर सकते हैं।'

    बीएसए ने कहा- 'मैं अभिभावकों से एक अपील करूंगा। यदि आप सफल नहीं हो पाए हैं तो कोई बात नहीं। ये सही बात है कि आपको अपने बच्चे से बहुत सारे सपने पालकर रखें होंगे। बच्चों के माध्यम से आपको अपने सपने पूरे करने हैं, लेकिन उसके लिए बच्चों को मजबूर नहीं करना चाहिए। मैंने 2000 की लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पीईएस संवर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। मैंने एक बार ठाना तो फिर करके दिखाया। पीछे मुड़कर नही देखा। यह टैलेंट सभी बच्चे में होता है। बस आप उसको कितना प्रोत्साहन दे पाते हैं। उसके स्वास्थ्य का कितना ध्यान रख पाते हैं ये बहुत जरूरी है।'

    राकेश सिंह ने फेसबुक पर लिखा है- 'जिंदगी ज्ञान की नहीं धैर्य की परीक्षा है। बच्चों को सपोर्ट करना चाहिए। उनका साथ देना चाहिए और जब से बच्चा शुरुआत कर लेगा वो कुछ भी कर सकता है। किसी भी ऊंचाई को तय कर सकता है। ऐसे तमाम उदाहरण समाज में भरे पड़े हैं हैं। मैं पुनः जिन बच्चों ने सफलता हासिल की है, उनको बधाई देना चाहता हूं। जिन बच्चों ने नहीं हासिल की है उन बच्चों को, उनके अभिभावकों को विशेष बधाई देना चाहता हूं। आपका बच्चा इस सृष्टि की अनमोल रचना है वो ज़रूर किसी न किसी दिन बड़ा करेगा। अच्छा करेगा।'

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