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    New Delhi अधिकारियों को दस्तावेज वेरिफाई करने चाहिए', सुप्रीम कोर्ट में पाकिस्तान निर्वासन मामले की सुनवाई



    नई दिल्ली 
    इनपुट:सोशल मीडिया 


    नई दिल्ली:-& सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से एक व्यक्ति के इस दावे की पुष्टि करने को कहा कि वह और उसके परिवार के सदस्य, जिन्हें पहलगाम हमले के बाद निर्वासन नोटिस जारी किया गया था, वास्तव में भारतीय नागरिक हैं और उनके पास गृह मंत्रालय की ओर से जारी किया गया पासपोर्ट है.
    यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन दस्तावेजों की पुष्टि करें जो उनके संज्ञान में लाए जा सकते हैं. पीठ ने कहा कि अजीबोगरीब तथ्यों को देखते हुए, उचित निर्णय लिए जाने तक अधिकारी कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं कर सकते. पीठ ने कहा, "जल्द से जल्द उचित निर्णय लिया जाए, हालांकि हम कोई समयसीमा नहीं बता रहे हैं..."
    पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर याचिकाकर्ता अधिकारियों के अंतिम निर्णय से असंतुष्ट हैं तो वे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में जा सकते हैं। Front News India पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि इसे मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
    अहमद तारिक बट ने अधिवक्ता नंद किशोर के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि उन्हें और उनके परिवार के अन्य 5 सदस्यों को 25 अप्रैल को श्रीनगर में विदेशी पंजीकरण कार्यालय से एक नोटिस मिला. याचिका में कहा गया है, "उक्त व्यक्तिगत नोटिसों में एफआरओ ने अवैध रूप से और निराधार रूप से दावा किया है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसके परिवार के सदस्य वर्ष 1997 में भारत में प्रवेश कर चुके हैं और उनके वीजा की समाप्ति पर भारत छोड़ने की बाध्यता थी, क्योंकि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं." याचिकाकर्ता परिवार श्रीनगर में रहता है.
    याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पिता, माता, बहन और उसके छोटे भाई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 29 अप्रैल को रात करीब 9 बजे अवैध रूप से गिरफ्तार किया और उन्हें 30 अप्रैल, 2025 को दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया और फिलहाल उन्हें सीमा से भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

    याचिकाकर्ता ने कहा कि भले ही वे भारतीय नागरिक हैं, लेकिन उन्हें निर्वासित किया जाना तय है. याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता नंबर 1 एक भारतीय नागरिक है जिसके पास वैध भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड है. याचिकाकर्ता नंबर 1 के परिवार में उसके पिता तारिक मश्कूर बट, उसकी मां नुसरत बट, उसकी बड़ी बहनआयशा तारिक, उसका छोटा भाई अबूबकर तारिक बट और एक अन्य छोटा भाई उमर तारिक बट शामिल हैं."

    याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता का परिवार वर्ष 1997 तक मीरपुर में रहता था और उसके पिता वर्ष 1997 में श्रीनगर शहर में चले गए थे। Front News India याचिकाकर्ता संख्या 1 सहित परिवार के अन्य सदस्य वर्ष 2000 में मीरपुर से श्रीनगर शहर में चले गए थे. याचिकाकर्ता और उसका परिवार सभी भारतीय नागरिक हैं और उनके पास गृह मंत्रालय द्वारा जारी भारतीय पासपोर्ट हैं और वे भारतीय नागरिक हैं. याचिकाकर्ता और उसके भाई-बहन सभी ने श्रीनगर के एक निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है”,
    याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अपने परिवार के सदस्यों को विदेशी पंजीकरण कार्यालय, श्रीनगर की हिरासत से रिहा करने की मांग करते हुए सु्प्रीम कोर्ट का रुख किया और अपने परिवार को जारी किए गए निर्वासन नोटिस को रद्द करने की भी मांग की. याचिकाकर्ता ने आईआईएम केरल से एमबीए किया है।

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