उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:संतोष मिश्रा
अयोध्या :---महावा गाँव में 'विकास' के नाम पर जो शानदार कार्य हुआ है, उसे देखकर लगता है कि प्रशासन ने इसे 'मौत का कुआं' नामक एक नया प्रोजेक्ट बना दिया है। करीब 20 फीट गहरा गड्ढा, जो अब किसी भी अनजान व्यक्ति के लिए जीवन-मृत्यु का सवाल बन चुका है। तालाब की जमीन को खोदकर रिंग रोड बनाने का इतना शानदार तरीका कभी नहीं देखा, और हां, सुरक्षा मानक? वो तो कहीं से भी गायब हैं!
रॉयल्टी का कोई ट्रैक नहीं, डिस्प्ले बोर्ड की तो बात ही छोड़िए, यहां तो खुदाई धड़ाधड़ चल रही है, जैसे प्रशासन ने ‘नियम’ और ‘नियमन’ को अपने काम से बाहर ही कर दिया हो। आखिरकार, यह तालाब अब "मौत का कुआं" बन चुका है, और ठेकेदार को इसमें बड़ी मौज आ रही है!
बेशक, उपजिलाधिकारी सोहावल को फोन किया गया, लेकिन शायद वे इस 'महान कार्य' में इतने व्यस्त हैं कि फोन उठाना भूल गए। और जो बड़ा सवाल है - वह यह है कि खोदी गई मिट्टी की कीमत आखिर किसके खाते में जाएगी? क्या यह ठेकेदार का खजाना बढ़ाने का तरीका है, या फिर प्रशासन ने इसे कोई गुप्त स्कीम बना लिया है?
महावा के तालाब नंबर 406 का मामला अब विकास के नाम पर बना 'विकास का शानदार मॉडल' नहीं, बल्कि एक बड़ा घोटाला बन सकता है। क्या ठेकेदार के टेंडर में तालाब से मिट्टी खोदने का जिक्र था, या यह तो एक और 'जुगाड़' है? अब उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी है, क्योंकि इस प्रकार के विकास के नाम पर जनता का कोई भला होने वाला नहीं।महावा और आसपास के अन्य गाँवों में रिंग रोड के नाम पर तालाब की मिट्टी खोदी जा रही है, लेकिन किसी को यह नहीं समझ में आ रहा कि यह 'विकास' नहीं, "विनाश" है!