नई दिल्ली
इनपुट: सोशल मीडिया
नई दिल्ली:---पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अपने मुल्क के आतंकी समूहों के साथ संबंधों को स्वीकार करते हुए कहा है कि पाकिस्तान का ये अतीत रहा है. बिलावल ने यह बात रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा आतंकवादी समूहों को समर्थन और वित्त पोषण में पाकिस्तान की संलिप्तता को स्वीकार करने के बाद कही है.
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पाकिस्तान के इतिहास में चरमपंथ के दखल को स्वीकार किया है. साथ ही ये भी दावा किया कि ऐसा होने से राष्ट्र को कीमत चुकानी पड़ी है. उन्होंने कहा कि अब इसमें सुधार हुआ है.
स्काई न्यूज के यल्दा हकीम के साथ बातचीत में भुट्टो ने कहा, 'जहां तक रक्षा मंत्री ख्वाजा ने कहा है, मुझे नहीं लगता कि यह कोई रहस्य है कि पाकिस्तान का एक अतीत है...नतीजतन हमने कष्ट झेले हैं, पाकिस्तान ने कष्ट झेले हैं. हम चरमपंथ की एक के बाद एक लहरों से गुजरे हैं. लेकिन हमने जो कष्ट झेले हैं, उससे हमने सबक भी सीखे हैं. इस समस्या के समाधान के लिए हमने आंतरिक सुधार किए हैं...'
भुट्टो ने आगे कहा, 'जहां तक पाकिस्तान के इतिहास का प्रश्न है, यह इतिहास है और यह ऐसी चीज नहीं है जिसमें हम आज हिस्सा ले रहे हैं. यह सच है कि यह हमारे इतिहास का दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा है.'
वहीं गुरुवार को मीरपुर खास में एक रैली में भुट्टो ने एक बार फिर दावा किया कि पाकिस्तान शांति चाहता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर भारत ने उन्हें उकसाया तो वह युद्ध के लिए भी तैयार हैं.
उन्होंने रैली में कहा, 'पाकिस्तान एक शांतिपूर्ण देश है. इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म है. हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर कोई हमारी सिंधु पर हमला करता है, front News India तो उसे युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए. हम युद्ध का ढोल नहीं पीटते, लेकिन अगर उकसाया गया, तो एकजुट पाकिस्तान की दहाड़ झेलनी होगी.'
गौर करें तो कुछ दिन पहले, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ स्काई न्यूज की यल्दा हकीम से वार्ता कर रहे थे, जब उन्होंने उनसे पूछा, 'लेकिन आप मानते हैं कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण देने का एक लंबा इतिहास रहा है?'
उस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'हम करीब तीन दशकों से अमेरिका के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं...और ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों के लिए भी कर रहे हैं...यह एक गलती थी, और हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा, और इसीलिए आप मुझसे ये यह कह रहे हैं. अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में और बाद में 9/11 हमले के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता.'
इस तरह से पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों की ओर से यह स्वीकारोक्ति 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक हमले को लेकर आई है. इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे. इस हमले की साजिश पाकिस्तान से गहरे संबंध रखने वाले प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा ने साजिश रची थी।