उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
रेवती, बलिया :--सरकारी अस्पताल गरीबों का सहारा, बीमारों की उम्मीद। लेकिन जब वहीं अस्पताल किसी डॉक्टर की निजी दुकानदारी का अड्डा बन जाए, तो सबसे ज़्यादा चोट उन बेसहारा मरीजों पर पड़ती है, जो इलाज की आस में अस्पताल की चौखट पर पहुँचते हैं।
रेवती के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात डॉक्टर दिनेश सिंह पर आरोप है कि वे लगातार मरीजों को अस्पताल में मौजूद दवाओं की जगह महंगी और बाहरी मेडिकल स्टोर्स की दवाएं लिख रहे हैं। कई बार शिकायतों के बावजूद मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) बलिया की चुप्पी अब संदेह पैदा करने लगी है क्या यह चुप्पी मजबूरी है या मौन समर्थन?
अस्पताल में सुबह से लाइन में लगे गरीब, वृद्ध और महिलाएं जब डॉक्टर से परचा लेकर बाहर निकलते हैं, तो उनके चेहरे पर राहत नहीं, बल्कि चिंता की लकीरें होती हैं। कारण – डॉक्टर ने जो दवा लिखी, वो अस्पताल में नहीं, सिर्फ बाहर की दुकान पर मिलेगी। जिनके पास खाने के पैसे नहीं, वो दवा कहां से लाएंगे। हम गरीब लोग हैं, सरकारी अस्पताल इसी उम्मीद में आते हैं कि इलाज मुफ्त मिलेगा। लेकिन यहां तो बाहर की दवाएं लिख दी जाती हैं। कहां से लाएं इतने पैसे, यह दर्द है एक बुज़ुर्ग महिला का, जो आंखों में आंसू लिए बाहर बैठी थी।
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन स्पष्ट है कि अस्पताल में उपलब्ध दवाएं पहले लिखी जानी चाहिए। लेकिन डॉक्टर दिनेश सिंह की यह मनमानी साफ तौर पर इन नियमों को ठेंगा दिखा रही है। और मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया, जिन पर जिम्मेदारी है इस पर लगाम लगाने की वे अब तक मौन हैं।
क्या बलिया का स्वास्थ्य तंत्र एक डॉक्टर के आगे इतना मजबूर है कि वह नियमों को ताक पर रखकर मरीजों के साथ खिलवाड़ करता रहे? यह सवाल अब केवल जनता का नहीं, बल्कि जिले की साख का भी है।
जनता की मांग है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी मरीज इलाज के लिए बेबस न हो।