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    स्वास्थ्य विभाग का ये कैसा खेल,डॉक्टर की जगह छात्र नेता की फ़ोटो पर मिल गया NOC



    उत्तर प्रदेश वाराणसी 
    इनपुट:सोशल मीडिया 

    मां गौरी हॉस्पिटल में फर्जीवाड़े का खुलासा: फर्जी डॉक्टर्स, झूठे दस्तावेज और अफसरों की मिलीभगत से जारी हुआ पंजीकरण।


    वाराणसी :--स्वास्थ्य विभाग हमेशा अपने कारनामों से चर्चा में रहता है.ताजा मामला यूपी के वाराणसी से सामने आया है।शहर के पांडेयपुर स्थित मां गौरी हॉस्पिटल के पॉल्यूशन बोर्ड द्वारा जारी NOC फर्जी दस्तावेजों के आधार पर है।बड़ी बात ये है की सीएमओ ऑफिस के नोडल अफसर और नगर मजिस्ट्रेट के मौका मुआयने के बाद भी इस NOC का नवीनीकरण कर दिया गया।

    बताते चलें कि दो वर्षों से यह अस्पताल फर्जी डॉक्टर्स, कूटरचित दस्तावेज और प्रशासनिक मिलीभगत के सहारे न सिर्फ चल रहा है, बल्कि दर्जनों मरीजों का इलाज भी कर रहा है, जिससे लोगों की जान को खतरा भी है।

    2023-24 में बिना सही निरीक्षण के जारी हुआ पंजीकरण

    वर्ष 2023-24 में हॉस्पिटल पंजीकरण की प्रक्रिया के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय से आए नोडल अधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट ने मौके पर पहुंचकर औपचारिक निरीक्षण किया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस डॉक्टर सौरभ कुमार (बांदा निवासी) के नाम पर अस्पताल ने दस्तावेज जमा किए, उनकी जगह पर एक स्थानीय आरएसएस प्रचारक और पूर्व छात्र नेता की तस्वीर लगाकर निरीक्षण टीम को गुमराह किया गया।

    प्रदूषण विभाग और बायो वेस्ट के जाली दस्तावेज

    निरीक्षण के समय हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का फर्जी एनओसी और बायो मेडिकल वेस्ट से जुड़े तीन कूटरचित दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए, जिन्हें बिना सत्यापन के मान्यता दे दी गई। इस तरह से अस्पताल ने प्रक्रियाओं का मज़ाक उड़ाते हुए स्वास्थ्य विभाग को अंधेरे में रखकर पंजीकरण प्राप्त कर लिया।

    दोबारा हुआ नवीनीकरण, उसी झूठे दस्तावेज़ पर

    सबसे हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2024-25 में भी वही पुराने और जाली दस्तावेजों के आधार पर हॉस्पिटल का पंजीकरण नवीनीकरण कर दिया गया। नोडल अधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट ने न सिर्फ दोबारा मौके का निरीक्षण नहीं किया, बल्कि उसी दस्तावेजी झांसे को स्वीकार कर लिया।

    फर्जी डॉक्टरों से इलाज, मरीज की जान की खतरा

    इस फर्जी पंजीकरण के आधार पर बिना मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से इलाज कराया जा रहा है। न डॉक्टरों के पास मेडिकल काउंसिल का वैध पंजीकरण है, न अस्पताल में आपातकालीन सुविधा या प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता। मरीजों की जिंदगी के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है।

    पैसे की उगाही और पुलिस संरक्षण का भी आरोप

    स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों से इलाज के नाम पर हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं, और शिकायत करने पर उन्हें धमकाया भी जाता है। यह भी आरोप है कि इस फर्जीवाड़े को संरक्षण देने में लालपुर पांडेयपुर और कैंट थाना क्षेत्र के कुछ पुलिसकर्मियों की भी भूमिका संदिग्ध है, जो मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।।यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की जड़ तक जांच की मांग करता है। अगर इसे जल्द नहीं रोका गया, तो वाराणसी में स्वास्थ्य व्यवस्था पर लोगों का विश्वास पूरी तरह डगमगा सकता है।

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