खेल समाचार
इनपुट: अमीत कुमार गुप्ता
बलिया उत्तरप्रदेश:---जिस तरह कोई युवा सालों की मेहनत, नींद और आराम की कुर्बानी देकर जब सरकारी नौकरी के अंतिम पड़ाव तक पहुंचता है, लेकिन महज कुछ अंकों से चयन छूट जाता है — वह खालीपन, वह कसक शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है। ठीक उसी तरह का एक अधूरा सपना, एक तड़पती सी संतुष्टि, शुभमन गिल के चेहरे पर उस पल झलक रही थी, जब वो इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने से महज 31 रन दूर रह गए।
पर क्या सच में यह पारी अधूरी थी?
शुभमन गिल — एक ऐसा नाम जो भारतीय क्रिकेट में उभरता सितारा नहीं, बल्कि अब आसमान बन चुका है। वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक, टी20 अंतरराष्ट्रीय में शतक और अब टेस्ट क्रिकेट में 269 रनों की ऐतिहासिक पारी — भारत के लिए तीनों फॉर्मेट में ऐसा कारनामा करने वाले वो अकेले बल्लेबाज़ हैं।
गिल की यह पारी किसी साधारण दस्तावेज़ की तरह नहीं थी; यह एक कविता थी — 387 गेंदों पर लिखी गई 30 चौकों और 3 छक्कों की भावुक कविता। यह पारी क्रिकेट नहीं, भावना थी; जुनून था; और भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा भी।
आउट होने के बाद जब गिल शॉर्ट आर्म पुल खेलते हुए जोश टंग की गेंद पर कैच हुए, उनका चेहरा जैसे कह रहा हो — "मैं कुछ बड़ा करके दिखाना चाहता था, और थोड़ा सा रह गया।" वो आंखों की हल्की नमी, वो चेहरे पर झलकती आत्मचिंतन की रेखाएं, सब कुछ बयां कर रही थीं कि उन्होंने सिर्फ रन नहीं खोए, बल्कि एक ऐतिहासिक अध्याय अधूरा छोड़ दिया।
लेकिन गौर से देखिए — जो अधूरा था, वही तो सबसे खास था।
तिहरा शतक भले न आया हो, लेकिन बतौर कप्तान शुभमन गिल ने भारत को एक ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया जहां से यह मैच केवल तभी हाथ से निकल सकता है अगर भारत कुछ बेहद खराब क्रिकेट खेले। यह पारी सिर्फ रनों की बात नहीं करती, यह कप्तानी की परिपक्वता, धैर्य और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।
यह पारी किताबों में दर्ज होगी — ‘शुभमन गिल की 269 रन की वह पारी, जो शायद तिहरे शतक से भी बड़ी थी।’
क्रिकेट की इस रोमांचकारी कहानी में एक नई दास्तान जुड़ गई है, और शुभमन गिल का नाम उस सुनहरे पन्ने पर दर्ज हो चुका है, जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है।