उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:---चीकू का पेड़ अपने स्वादिष्ट फल के साथ-साथ हरियाली और छांव से घर-बगीचे की शोभा बढ़ाता हैं। इस पोस्ट में हम चीकू में फूल आने के बाद फल न लगने के मुख्य कारणों और उनके प्रभावी उपायों को सरल भाषा में समझाएंगे, ताकि आप अपने पेड़ को बेहतर फल देने के लिए तैयार कर सकें।
चीकू में फूल आते हैं, पर फल क्यों नहीं लगते ?
परागण की कमी :
चीकू के फूलों में नर और मादा भाग होते हैं, लेकिन इनका परागण कीड़ों जैसे मधुमक्खी या हवा से होता हैं। अगर परागण पूरा नहीं हुआ तो फूल गिर जाते हैं और फल नहीं बनते।
समाधान :
बगीचे में मधुमक्खी जैसे परागण मित्र कीड़े आकर्षित करने वाले फूल लगाएं जैसे गेंदा और तुलसी। पौधे पर पानी का छिड़काव न करें ताकि परागण में बाधा न आये।
2अत्यधिक नमी या पानी का असंतुलन :
फूल के समय ज्यादा पानी देने से फूल झड़ सकते हैं।
समाधान :
फूल आने के समय सिंचाई संतुलित मात्रा में करें। जल निकासी ठीक रखें, पानी जमा न होने दें।
पोषक तत्वों की कमी :
पौधा फूल तो देता हैं, पर अगर उसमें जरूरी पोषण न मिले तो फल बनने की शक्ति नहीं रह जाती हैं।
समाधान :
फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त में यह खाद दें-
● गोबर की सड़ी खाद – 5 से 7 किलो
● नीम खली – 250 ग्राम
● सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) – 125 ग्राम
● सिवे पोटाश – 50 ग्राम
● बोनमील या चूना – 50 ग्राम
ज़िंक और बोरॉन की कमी को पूरा करने के लिए फूल आने से पहले 0.2% बोरॉन और 0.5% जिंक सल्फेट का फोलियर स्प्रे करें।
पेड़ की कटाई-छंटाई न होना
पुरानी टहनियाँ ज्यादा होने पर नई वृद्धि रुक जाती हैं और फलन कम होता हैं।
समाधान :
हर 2 साल में एक बार फरवरी-मार्च या बरसात में हल्की कटाई-छंटाई करें, ताकि नई शाखाएँ निकलें और फलन बढ़े।
तापमान और मौसम :
चीकू को गर्म और नम मौसम चाहिए, फूल के समय अगर अचानक तापमान गिर जाये या तेज हवा हो तो फूल झड़ सकते हैं।
समाधान :
ऐसे समय पेड़ के आस-पास नमी बनाए रखें और ठंडी हवा से बांस की जाली या मल्चिंग द्वारा बचाव करें।
फूल झड़ने से बचाने के लिए सुझाव :
1. प्लानोफिक्स (NAA) 10–20 PPM का छिड़काव फूल आने के समय करें।
2. अगर पेड़ में कीड़े या रोग हैं, तो नीम-ऑयल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
चीकू का पेड़ अगर ठीक से फल नहीं दे रहा, तो निराश होने की जरूरत नहीं हैं, यह समस्या आम हैं और अक्सर परागण की कमी, पोषक तत्वों की असंतुलन, अत्यधिक सिंचाई या मौसम के बदलाव से जुड़ी होती हैं। इनका उचित देखभाल करके इस समस्या से बचा जा सकता हैं और अपनी पैदावार को कई गुना बढ़ा सकते हैं।