इंदौर मध्यप्रदेश :--- अक्सर हम तस्वीरों में एक धड़ और दो या कई सिर वाली देवी देवताओं की तस्वीरें देखते हैं। ब्रह्मा जी के चार सिर बताए गए हैं। इन्हीं में से एक सिर को भगवान शिव ने काट दिया था। रावण के बारे में भी वर्णन है कि उसके 10 सिर थे। लेकिन इंदौर में एक ऐसी घटना हुई है जो चर्चा का विषय बन गई है। इंदौर के एक अस्पताल में दो सिर वाले नवजात का जन्म हुआ है। एक बॉडी और दो सिर वाले अनोखे जुड़वां बच्चों के जन्म से डॉक्टर भी हैरान हैं।
इंदौर के एमटीएच अस्पताल में 23 जुलाई 2025 को एक महिला ने सिर से जुड़े जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। महिला विदिशा से रिफर होकर अपने परिजनों के साथ यहां पहुंची थी। इन बच्चों का एक धड़ और दो सिर है, जिन्हें मेडिकल भाषा में पैरापैगस डिसेफेलिक ट्विन्स कहा जाता है। यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ है और 50,000 से 1 लाख प्रसवों में एक बार होती है।
चिकित्सा दृष्टिकोण और जटिलताएं
इस स्थिति में सर्जरी जोखिम भरी होती है और जीवित रहने की संभावना 60-70% कम होती है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम लगातार बच्चों की निगरानी कर रही है और उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
डॉक्टर भी हैरान,सोनोग्राफी में पहले ये नजर कैसे नहीं आया
ऑपरेशन के दौरान जब डॉक्टरों ने बच्चे को देखा तो हैरान रह गए। बच्चे दो थे लेकिन उनका धड़ एक था। डॉक्टरों ने कहा कि दो सिर वाले इस नवजात का ऑपरेशन काफी जटिल था। बच्चों के जन्म के बाद अनोखा केस देखते हुए डॉक्टरों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने का फैसला किया। डॉक्टर अनुपमा ने बताया कि अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई।
डॉक्टर ऐसे नवजात के जन्म से हैरान है। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिला की जांच प्रसव से पहले की जाती रही। हैरानी की बात यह है कि सोनोग्राफी में डॉक्टरों को यह नजर क्यों नहीं आया। अस्पताल का कहना है कि यह एक अनोखा मामला है। अभी बच्चे स्वस्थ हैं लेकिन आगे कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसी वजह से उन्हें ऑब्जरवेशन पर रखा गया है।डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है।
लेकिन आगे कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसी वजह से उन्हें ऑब्जरवेशन पर रखा गया है।डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है।
अनुसंधान महत्व
यह घटना भ्रूण विकास अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है और बेहतर स्क्रीनिंग की आवश्यकता को दर्शाती है। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच में इस स्थिति का पता नहीं चलना आश्चर्यजनक है और यह मेडिकल क्षेत्र में शोध का विषय बन सकता है।
बच्चों की स्थिति
बच्चों को अस्पताल के नवजात शिशु रोग विभाग में NICU में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया है। डॉक्टरों की टीम उनकी स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और आगे की कार्रवाई के लिए तैयार है ।