बिहार पटना
इनपुट:सोशल मीडिया
बिहार पटना:---बिहार के सासाराम की 17 वर्षीय नाबालिग बच्ची स्नेहा सिंह, जो वाराणसी के जवाहर नगर स्थित रामेश्वरम हॉस्टल में रहकर मेडिकल परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रही थी, 1 फरवरी 2025 को उसका शव संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से लटका मिला।
परिवार के अनुसार, स्नेहा के साथ पहले बलात्कार किया गया, फिर उसकी हत्या कर शव को फंदे से लटका दिया गया। लेकिन सरकार और प्रशासन की नृशंसता इससे भी आगे निकल गई, बच्ची के शव को परिवार को सौंपने के बजाय प्रशासन ने खुद ही आनन-फानन में जला दिया।
मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि -
1. अगर यह आत्महत्या थी, तो परिवार को शव क्यों नहीं सौंपा गया ?
2. अगर यह हत्या थी, तो अपराधियों को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है ?
3. किसके दबाव में प्रशासन ने परिवार की अनुमति के बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया ?
यह सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देती है, लेकिन हकीकत यह है कि बेटियों को बचाने के बजाय बेटियों की लाशों को जलाया जा रहा है, ताकि अपराधियों को बचाया जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार से मेरी यह स्पष्ट माँग है कि -
इस मामले की न्यायिक जांच कराई जाए और इसकी सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में हो ताकि जल्द से जल्द अपराधियों को सज़ा मिल सके।
उन सभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर हत्या, बलात्कार, और सबूत मिटाने का मुकदमा दर्ज हो, जिन्होंने इस जघन्य अपराध को छिपाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
और साथ ही साथ स्नेहा के परिवार को सुरक्षा और न्याय मिले।