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    UPअपने ही धर्म के मोहर्रम के मौके पर ऐसी बात कहने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए...


    उत्तर प्रदेश लखनऊ 
    इनपुट:सोशल मीडिया 
     लखनऊ:--मोहर्रम के जुलूस में देश के कई जिलों में पथराव और जुलूस में अनावश्यक शोर-शराबे के विरोध में मारपीट और तनाव की घटनायें देखने के बाद मैं यही सब सोच रहा था कि सड़क पर शक्ति प्रदर्शन और डी.जे. बम का तांडव बंद होना चाहिए और तभी श्री सलीम भाई का यह पोस्ट देखने को मिला और मैंने शेयर कर दिया।

    देश का कानून लाउडस्पीकर को नियंत्रित करने की बात करता है ना कि डी.जे. को. डी.जे. का तो मतलब ही होता है अनियंत्रित और जानलेवा. ध्वनि प्रदूषण नियम में लाउडस्पीकर वाला नियम कहता है कि रात में 8 घंटे के लिए, 100% स्विच ऑफ. तो फिर सरकारें केवल साउंड को कम कराने की नौटंकी क्यों कर रही हैं?  और हाँ, दिन के दौरान स्पीकर बॉक्स से 1 मीटर की दूरी पर अधिकतम 70 डेसीबल की ध्वनि हो तो स्वास्थ्य के लिए ठीक है. सभी राजनीतिक पार्टियों, सभी शादी की बारात, सभी धर्म के कार्यक्रमों में साल के 365 दिन, जानलेवा डी.जे. पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए. 

    मस्जिद-मंदिर और सभी धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर का मुंह अंदर की तरफ होना चाहिए और ऊंचाई जमीन से 8 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए, ऐसा दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने 2012 के आदेश में कहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक रात 10 से सुबह 6 तक पूर्ण शांति होनी चाहिए. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम-2000 [कृपया इसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के साथ जोड़कर पढ़ा जाए] के मुताबिक रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच कोई भी लाउडस्पीकर, केवल और केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही बजाया जा सकता है. खुली जगह में दिन के दौरान भी सीमित अवधि के लिए बहुत नियंत्रित डेसीबल लेवल में लाउडस्पीकर बजाने के लिए प्रशासन की पूर्व लिखित अनुमति आवश्यक होती है. चाहे वह शादी विवाह या धार्मिक कार्यक्रम ही क्यों ना हो, लाउडस्पीकर बजाने के लिए अनुमति आवश्यक होती है. ध्वनि को सीमित रखने के लिए इस अनुमति पत्र में मजिस्ट्रेट को स्पष्ट शब्दों में लिखना चाहिए कि किसी भी हालत में रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच लाउडस्पीकर को नियमानुसार 100% स्विच ऑफ रखा जाएगा और दिन के दौरान भी लाउडस्पीकर की ध्वनि इतनी ही रखी जाएगी कि आवाज परिसर तक ही सीमित रहे और कार्यक्रम वाले मैदान के गेट पर या बाहर बिजली के खम्भाँ और पेड़ आदि पर स्पीकर बॉक्स नहीं लगाया जायेगा. ध्वनि को परिसर तक सीमित रखने के लिए सभी यथासंभव उपायों का इस्तेमाल किया जाएगा. दिन के दौरान भी, अगर ऐसा आर्केस्ट्रा या भजन या तकरीर, जिसमें 70 डेसीबल से ज्यादा का लाउडस्पीकर वाला शोर करना हो उनको केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही अनुमति दी जा सकती है. कानून तोड़ने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ₹1,00,000 तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है. अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं तो दिन के दौरान ध्वनि को कम करने और रात्रि 10:00 से सुबह 6:00 तक स्विच ऑफ करने के लिए 112 नंबर पर गुप्त शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश के सभी निवासियों से अनुरोध है कि ध्वनि प्रदूषण या किसी भी अन्य अपराध के खिलाफ शिकायत या मुकदमा FIR, दर्ज कराने के लिए आज ही गूगल प्ले स्टोर से UPCOP नामक ऐप को डाउनलोड करें.


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