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    "गाँव की मिट्टी से निकला सितारा" अभिषेक कुमार सिंह बने ASP, परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर


    उत्तर प्रदेश बलिया
    इनपुट: हिमांशु शेखर 
    बलिया बांसडीह :-- कहते हैं कि अगर इरादे बुलंद हों तो साधारण परिस्थितियाँ भी असाधारण सफलता की सीढ़ियाँ बन जाती हैं। बांसडीह तहसील के छोटे से गाँव से निकलकर अभिषेक कुमार सिंह ने यह साबित कर दिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने उन्हें अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) के पद पर पदोन्नत किया है। यह खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में गर्व और हर्ष का वातावरण बन गया।

    अभिषेक कुमार सिंह, स्व. वीरेंद्र सिंह के पुत्र हैं। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे अभिषेक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही सरकारी विद्यालय से प्राप्त की। उस मिट्टी की सोंधी खुशबू और संघर्षों की तपिश ने उन्हें एक मजबूत इंसान बनाया, जिसने कठिन राहों को पार कर सफलता की ऊँचाइयों को छुआ।

    उनके छोटे भाई अविनाश सिंह, जो कि बांसडीह क्षेत्र के एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं, ने नम आँखों से बताया, "हम दोनों भाइयों ने माँ-बाप की मेहनत को देखा है, अभिषेक ने हमेशा सपने बड़े देखे और उन्हें सच्चाई में बदलने के लिए दिन-रात एक किया। आज माँ को देखिए, उनकी आँखों में सिर्फ आँसू नहीं, एक गर्व की चमक है।"

    माँ मालती सिंह, जो खुद एक सरकारी विद्यालय की अध्यापिका रह चुकी हैं, अपने बेटे की इस उपलब्धि पर भावुक होकर कहती हैं, "बेटा हमेशा कहता था – माँ, गाँव की इज्ज़त बनूँगा। आज लगता है कि उसकी मेहनत और हमारी दुआएँ रंग लाई हैं।"

    2008 बैच के अभिषेक ने 2011 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सेवा की शुरुआत की और अक्टूबर 2021 में एटीएस (ATS) जैसी चुनौतीपूर्ण इकाई में शामिल हुए। अपनी कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और नेतृत्व क्षमता के दम पर आज वे उस पद पर पहुँचे हैं, जहाँ से वे समाज की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को और मजबूत बनाएँगे।

    गाँव के बच्चों के लिए प्रेरणा
    अभिषेक की यह उपलब्धि उन सभी ग्रामीण बच्चों के लिए एक मिसाल है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि सफलता पाने के लिए जरूरी नहीं कि आप किसी बड़े शहर से हों, जरूरी है तो बस मेहनत, आत्मविश्वास और अपने लक्ष्य के प्रति अडिग विश्वास।

    बांसडीह का यह लाल आज न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे जनपद का गौरव बन गया है।
    उनकी कहानी हर उस युवा को प्रेरित करती है जो संघर्षों से हारने के बजाय उन्हें सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ना चाहता है।

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