आंध्र प्रदेश भागलपुर
इनपुट:सोशल मीडिया
भागलपुर :-- अंगप्रदेश की राजधानी भागलपुर की राजनीतिक लड़ाई हमेशा से दिलचस्प रही है. भागलपुर जिले की भागलपुर विधानसभा हॉट सीट मानी जाती है. इसे कभी बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ चुनावों में पार्टी को मुंह की खानी पड़ रही है. आजादी के बाद से भागलपुर विधानसभा में कांग्रेस, जनसंघ, जनता पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों ने अलग-अलग चुनावों में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
अश्विनी चौबे 5 बार जीते: बीजेपी के कद्दावर नेता अश्विनी कुमार चौबे 5 बार इस सीट से जीत चुके हैं. जब वह 2014 में बक्सर से सांसद बने तो इस सीट पर उपचुनाव हुए. उसके बाद से कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है. 1995 से 2014 तक अश्विनी चौबे यहां से जीतकर विधायक बने और नीतीश सरकार में अलग-अलग विभागों के मंत्री बनाए जाते रहे.
बीजेपी की हार की हैट्रिक: 2014 में भागलपुर के तत्कालीन विधायक अश्विनी चौबे जब बक्सर से सांसद बने तो 2014 में भागलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी नभय कुमार चौधरी थे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने उनको बड़े अंतराल से हरा दिया. जिसके बाद भागलपुर सीट पर लंबे अरसे बाद कांग्रेस की वापसी हुई.
2015 में भी कांग्रेस की जीत: भागलपुर विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अजीत शर्मा और बीजेपी की ओर से अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे के बीच सीधी टक्कर हुई लेकिन बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. अजीत शर्मा को इस चुनाव में 70,514 वोट मिले थे जबकि अर्जित चौबे को 59,856 वोटों से संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी के सक्रिय नेता रहे विजय साह ने निर्दलीय ताल ठोक दिया, उन्हें 15,212 वोट हासिल हुआ था. हालांकि अब वह फिर से पार्टी में लौट आए हैं.
2020 में चिराग ने खेल बिगाड़ा: विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी ने अर्जित की बजाय तत्कालीन जिलाध्यक्ष रोहित पांडे को प्रत्याशी बनाया. हालांकि वह बेहद कम अंतराल से चुनाव हार गए. कांग्रेस के अजीत शर्मा को 65,502 और रोहित पांडे को 64,389 वोट मिले थे. इस चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने पूर्व डिप्टी मेयर राजेश वर्मा को मैदान में उतारा था, उनको 20,523 वोट मिले थे. राजेश वर्मा फिलहाल खगड़िया लोकसभा सीट से सांसद हैं.
2025 में संभावित उम्मीदवार: महागठबंधन की तरफ से एक बार फिर ये सीट कांग्रेस के हिस्से में जाना तय है. अजीत शर्मा एक बार फिर से कैंडिडेट हो सकते हैं लेकिन एनडीए की तरह से तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि उम्मीदवार तो बीजेपी का ही होगा, ये तय है. रोहित पांडे और अर्जित चौबे प्रबल दावेदार हैं. पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन भी दावेदारी कर सकते हैं. वहीं कई नेता भी टिकट की आस में है. उधर, जन सुराज पार्टी से प्रोफेसर देवज्योति मुखर्जी और विशाल आनंद दावेदार हो सकते हैं.
भागलपुर में कुल मतदाता: 2020 के आंकड़ों के अनुसार भागलपुर विधानसभा 3 लाख 52 हजार 624 वोटर्स हैं. इनमें पुरुषों की संख्या 1,78,618 (53.2%) और महिलाओं की तादाद 1,73,978 (46. 6%) है. इसके अलावे ट्रांसजेंडर वोटर्स की संख्या 28 है. हालांकि जाति जनगणना और हालिया मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद संख्या में बदलाव हो सकती है.
भागलपुर सीटों का सामाजिक समीकरण: भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जो मजबूती से अपने वोटों के जरिए इस सीट पर हार-जीत तय करते हैं. उसके बाद वैश्य मतदाताओं की संख्या है. ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, दलित, कुशवाहा, गंगौता और यादव समेत अन्य जातियों की भी हिस्सेदारी रहती है.
किस जाति की कितनी आबादी?: भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम 85 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, राजपूत की संख्या 12 हजार, कायस्थ 12 हजार, यादव 10 हजार, भूमिहार 5 हजार , वैश्य- सवा लाख और एससी और अतिपिछड़ा वोटर्स की संख्या 23 हजार 500 है.
क्या होंगे मुद्दे?: इस बार की लड़ाई भी कई मुद्दों को लेकर दिलचस्प हो जाएगी. जैसे एयरपोर्ट, बुनकर कल्याण, ट्रैफिक व पेयजल से जुड़ी समस्याएं. साथ ही जातीय समीकरण भी इस सीट पर हार और जीत को तय करेगी।

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