नई दिल्ली/पटना
इनपुट:सोशल मीडिया
नई दिल्ली/पटना :--सुप्रीम कोर्ट ने अलकतरा घोटाला मामले में पटना हाईकोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए, अपीलार्थी कृष्ण कुमार केडिया के अधिक उम्र के मद्देनजर सजा की अवधि को कम किया. इस मामले में पटना हाईकोर्ट द्वारा 6 अप्रैल 2018 को पारित किए गए फैसले और आदेश पर अपील दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
कृष्ण कुमार केडिया को सरेंडर करना होगा : हालांकि, अपीलार्थी के जमानत पर होने की वजह से बेल बॉन्ड को रद्द करते हुए शेष बचे सजा की अवधि पूरा करने के लिए सरेंडर करने का आदेश दिया गया है. सरेंडर नहीं करने की स्थिति में संबंधित पुलिस अधिकारी को अपीलार्थी को हिरासत में लेने का आदेश भी दिया गया है.
31 साल पुराना है मामला : जस्टिस बीआर गवई और अगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कृष्ण कुमार केडिया की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. बड़ी मात्रा में अलकतरा आपूर्ति किए जाने को लेकर हुई धांधली के मामले में सहरसा के कार्यपालक अभियंता ने 17 जनवरी 1994 को शिकायत दर्ज करवाया गया था.
ट्रायल के दौरान दो की मौत : इसे थाना कांड संख्या 291/96 के तौर पर दर्ज किया गया था और चार लोगों की पहचान कर अभियुक्त बनाया गया था. अपीलार्थी मुख्य अभियुक्त था. ट्रायल के दौरान पांचू महतो और भगवान प्रसाद पोद्दार की मृत्यु हो गई, जिसकी वजह से इनके विरुद्ध कार्यवाही बंद कर दी गई.
महेश्वर प्रसाद बने सरकारी गवाह : वहीं इस मामले में एक अन्य अभियुक्त महेश्वर प्रसाद को माफी दे दी गई और वह सरकारी गवाह हो गया. प्रतिवादी की ओर से भारत सरकार के एडीशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय और अपीलार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने कोर्ट के समक्ष अपने-अपने पक्षों को रखा.
जमकर होती है राजनीति : बता दें कि इस अलकतरा घोटाला को लेकर बिहार में जमकर राजनीति भी हुई है. सत्ताधारी पार्टी के नेता अक्सर कहते नजर आते हैं कि, 'एक समय नेता अलकतरा पीने और गिट्टी खाने का काम करते थे।