उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:---अपामार्ग जिसे चिरचिटा, लटजीरा या आंधीझाड़ा भी कहा जाता है, एक ऐसा बहुगुणी पौधा है जो पेट की लटकती चर्बी, गठिया, अस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, दांतों की सड़न, किडनी की पथरी जैसे 20 से भी अधिक रोगों में लाभकारी है। इस पौधे का हर हिस्सा – तना, पत्ती, बीज, फूल और जड़ औषधीय गुणों से भरपूर है।
➤ पहचान और प्रकार:
यह पौधा भारत के अधिकतर सूखे व ग्रामीण क्षेत्रों में पाया जाता है।
अपामार्ग की ऊंचाई 60 से 120 सेमी तक होती है।
दो प्रकार प्रमुख हैं: सफेद अपामार्ग (White Chaff Tree) और लाल अपामार्ग (Red Chaff Tree)।
सफेद प्रकार की पत्तियाँ हरी और सफेद धब्बेदार होती हैं, जबकि लाल प्रकार की पत्तियों पर लाल दाग होते हैं।
इसके फल चपटे होते हैं और बीज चावल के दानों जैसे दिखाई देते हैं।
➤ आयुर्वेदिक गुण:
अपामार्ग का स्वाद तीखा और कड़वा होता है। यह पाचनवर्धक, दर्दनाशक, विषनाशक, कृमिनाशक, रक्तशोधक, बुखार और श्वास रोग नाशक है। यह गर्भधारण में भी सहायक होता है।
✔ अपामार्ग (चिरचिटा) के 20 प्रमुख आयुर्वेदिक लाभ:
गठिया: पत्तों को पीसकर गर्म करके लगाने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है।
पित्त की पथरी: इसकी जड़ का काढ़ा काली मिर्च के साथ लेने से लाभ होता है।
यकृत वृद्धि: अपामार्ग का क्षार मट्ठे के साथ देने से बच्चों की यकृत विकृति में राहत मिलती है।
लकवा: इसकी जड़ और कालीमिर्च को दूध में पीसकर नाक में डालने से लाभ होता है।
पेट की चर्बी: इसका काढ़ा कालीमिर्च के साथ लेने से पेट का ढीलापन कम होता है।
बवासीर: पत्ते और कालीमिर्च का मिश्रण तथा जड़ का प्रयोग खूनी व बादी बवासीर में उपयोगी है।
मोटापा: इसके बीज से बनी खीर या भात वजन कम करने में सहायक है।
शारीरिक दुर्बलता: बीज और मिश्री का मिश्रण दूध के साथ लेने से शरीर में बल आता है।
सिरदर्द: इसकी जड़ का लेप सिर पर लगाने से आराम मिलता है।
गर्भधारण: पत्तों का रस या जड़ का चूर्ण मासिक धर्म के बाद लेने से संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है।
मलेरिया: इसके पत्ते और कालीमिर्च से बनी गोली मलेरिया की रोकथाम में सहायक है।
गंजापन: पत्तों को तेल में जलाकर तैयार लेप लगाने से बाल उग सकते हैं।
दांतदर्द/कैविटी: पत्तों के रस को दांतों में लगाने से दर्द और सड़न में लाभ होता है।
खुजली: पंचांग से तैयार काढ़े से स्नान करने पर खुजली में राहत मिलती है।
आधा सिरदर्द (माइग्रेन): बीजों का चूर्ण सूंघने से माइग्रेन में लाभ होता है
ब्रोंकाइटिस: अपामार्ग क्षार, अतीस, पिप्पली आदि के साथ सेवन से कफ व श्वसन तंत्र को राहत मिलती है।
खांसी: क्षार और शर्करा को गर्म पानी में लेने से पुरानी खांसी में लाभ होता है।
गुर्दे का दर्द: जड़ को पीसकर पिलाने से मूत्राशय की पथरी निकलती है।
पथरी: जड़ का काढ़ा या चूर्ण अन्य औषधियों के साथ लेने से पथरी में लाभ होता है।
दमा (अस्थमा): इसकी जड़ का चूर्ण शहद के साथ लेने से श्वास रोग में विशेष लाभ होता है।
यह पौधा सस्ता, सुलभ और अत्यंत उपयोगी है। किसी भी आयुर्वेद प्रेमी के लिए यह एक अनमोल धरोहर है। उपयोग से पहले किसी योग्य वैद्य से परामर्श अवश्य लें।