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    पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व : SKGupta



    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: अमीत कुमार गुप्ता 

    बलिया उत्तरप्रदेश:--शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। शिव महापुराण में दिए गए श्लोक "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।"के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की पुत्रवधु होती है वो शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है। इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं,उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए हर हर महादेव..

     कृते  रत्नमयं  लिंगं त्रेतायां हेम सम्भवम् ।
      द्वापरे पारदं श्रेष्ठं पार्थिव तू कलौ युगे ।।

    ..भगवान शिव कहते हैं मेरा हर युग में अलग-अलग रूप है। सतयुग में मणि, हीरा जवाहरात के शिवलिंग का पूजन करते थे, त्रेता युग में सोने का शिवलिंग लोग घर-घर में रखते थे, द्वापुर आया तो पारद के शिवलिंग का पूजन होता था, ऐसे ही कलयुग में पार्थिव शिवलिंग श्रेष्ठ है। मिट्टी के शिवलिंग से मैं प्रसन्न होता हूं। जैसे नदियों में गंगा, वैष्णवों में भगवान भोलेनाथ, अर्चन में अच्युत भगवान श्रीकृष्ण श्रेष्ठ है। उसी प्रकार शिवपूजन में पार्थिव शिवलिंग श्रेष्ठ माना जाता है।

     लिंग थापि विधिवत करि पूजा ।
    शिव समान प्रिय मोहि न दूजा ।।

    नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम्।
    नगेन्द्रकन्या वृषकेतुनाभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम्।।

    विश्वनाथ मम नाथ पुरारी।
    त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी।।

    चर अरु अचर नाग नर देवा।
    सकल करहिं पद पंकज सेवा।।

    प्रभु समरथ सर्वग्य शिव सकल कला गुन धाम।
    जोग ज्ञान वैराग्य निधि प्रनत कलपतरु नाम ।।

    इस चर अचर संसार में उनके सिवा भला और कौन है जिसे भगवान् संबोधित किया जा सके।

          ❗जय महादेव❗
     ⭕प्रश्न नहीं स्वाध्याय करें‼️
    विषय वस्तु अपने आचार्य पुरोहित से अवश्य समझना चाहिए।। श्रावण मास विशेष

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