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    जिनको थायराइड है उनके लिए स्पेशल लेख:थायराइड में धनिया(Coriander) का उपयोग कैसे करें


    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 
    बलिया उत्तरप्रदेश:---धनिया (Coriander) के बीज आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, और इनका उपयोग थायराइड जैसी समस्याओं में एक सहायक उपचार के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, धनिया सीधे तौर पर थायराइड ग्रंथि को ठीक नहीं करता, बल्कि यह शरीर में उन कारणों को संबोधित करता है जो थायराइड असंतुलन का कारण बन सकते हैं।

    आइए, विस्तार से समझते हैं कि धनिया थायराइड में कैसे काम करता है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है।

    आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से धनिया के फायदे (How Coriander Helps According to Ayurveda)
    आयुर्वेद में, थायराइड की समस्याएं, विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म (जब थायराइड ग्रंथि कम काम करती है), को अक्सर कफ और वात दोषों के असंतुलन और शरीर में 'अमा' (विषाक्त पदार्थ) के जमा होने से जोड़ा जाता है। धनिया इन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है:

    अमा (विषाक्त पदार्थों) को निकालना: थायराइड ग्रंथि गर्दन के क्षेत्र में होती है, जो आयुर्वेद में कफ दोष का स्थान माना जाता है। जब पाचन अग्नि (Digestive Fire) कमजोर होती है, तो शरीर में अपचा हुआ भोजन 'अमा' के रूप में जमा हो जाता है। यह अमा थायराइड ग्रंथि के कार्यों को बाधित कर सकता है। धनिया के बीज पाचन को सुधारते हैं और अग्नि को बढ़ाते हैं, जिससे अमा को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है।

    श्रोतस (ऊर्जा चैनलों) को साफ करना: शरीर में कई सूक्ष्म चैनल होते हैं जिन्हें 'श्रोतस' कहते हैं। ये चैनल पोषक तत्वों और ऊर्जा को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाते हैं। गर्दन के क्षेत्र में जमा हुआ अमा इन चैनलों को अवरुद्ध कर सकता है। धनिया के बीज इन चैनलों को साफ करने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, जिससे थायराइड ग्रंथि तक उचित पोषण पहुंच पाता है

    कफ और पित्त दोष को संतुलित करना: धनिया अपने गुणों के कारण कफ शामक (कफ को शांत करने वाला) होता है। यह कफ दोष के कारण होने वाली सूजन और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक है। यह पित्त दोष को भी संतुलित करता है, जो थायराइड से संबंधित सूजन और गर्मी को नियंत्रित करने में मदद करता है।

     शरीर को ठंडा करना (शीतल गुण): थायराइड की कुछ स्थितियों में शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। धनिया का शीतल गुण इस गर्मी को शांत करने और शरीर को आराम देने में मदद करता है।

    थायराइड में धनिया का उपयोग कैसे करें (How to Use Coriander for Thyroid)

    थायराइड के लिए धनिया का सबसे प्रभावी उपयोग उसके पानी के रूप में है, जिसे धनिया जल कहते हैं।

    1. धनिया जल (Coriander Water) बनाने की विधि
    यह थायराइड के लिए सबसे प्रचलित और असरदार तरीका है।

      सामग्री:
       साबुत धनिया के बीज: 1 से 2 चम्मच
       पानी: 1 गिलास (लगभग 200 मिलीलीटर)

    बनाने की प्रक्रिया:

      रात को सोने से पहले, एक गिलास पानी में 1-2 चम्मच साबुत धनिया के बीज भिगो दें।

      सुबह, उसी पानी और भीगे हुए धनिया के बीजों को एक छोटे बर्तन में धीमी आंच पर 5-7 मिनट तक उबालें।

     जब पानी आधा रह जाए, तो आंच बंद कर दें।
       पानी को छान लें।

    प्रयोग का तरीका:

    इस गुनगुने धनिया जल को सुबह खाली पेट पिएं। इसके बाद कम से कम 30-45 मिनट तक कुछ भी न खाएं।
    आप चाहें तो भीगे हुए पानी को बिना उबाले भी पी सकते हैं, लेकिन उबालने से इसके गुण अधिक प्रभावी रूप से निकल आते हैं।

    2. धनिया पाउडर का प्रयोग :

    धनिया के बीजों को सूखा भूनकर (dry roast) पीस लें और इसका पाउडर बना लें।
     इस पाउडर को आप दाल, सब्जी या छाछ (Buttermilk) में मिलाकर दिन में एक बार प्रयोग कर सकते हैं। यह पाचन को सुधारने में भी मदद करेगा।

    कुछ महत्वपूर्ण बातें और सावधानियां :

      नियमितता: आयुर्वेदिक उपचार धीमी गति से काम करते हैं, इसलिए धैर्य और नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है। धनिया जल का उपयोग कम से कम 3-6 महीने तक नियमित रूप से करने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

     अन्य जड़ी-बूटियां: आयुर्वेद में धनिया को अक्सर अन्य जड़ी-बूटियों जैसे अदरक (सोंठ), जीरा और सौंफ के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है ताकि इसका प्रभाव बढ़ सके।

     चिकित्सक से परामर्श: धनिया का उपयोग एक सहायक उपाय है, यह मुख्य चिकित्सा का विकल्प नहीं है। यदि आप थायराइड की दवाएं ले रहे हैं, तो उन्हें बंद न करें। किसी भी नए उपचार को शुरू करने से पहले, अपने डॉक्टर या एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

     जीवनशैली: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन के साथ ही धनिया का उपयोग सबसे प्रभावी होता है।

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