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    दिवाली के दिन (ओल) सुरन की सब्जी खाना क्यों अनिवार्य है?

    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 

    बलिया उत्तरप्रदेश:--दिवाली के दिन (ओल) सुरन की सब्जी खाना क्यों अनिवार्य है? तो मेरा मानना था की पहले के समय में सब्जियों के विकल्प बहुत सीमित हुआ करते थे,और ऐसे मसाले वाली सब्जियां केवल त्योहारों के दिन या किसी खास दिन ही बनते थे, जैसे आज कल पूड़ी — कचोरी बनना आम बात है, और पनीर वगेरह के विकल्प पहले नही हुआ करते थे। इसलिए हो सकता है की ऐसा बनाया गया होगा।

    लेकिन बड़े लोगो से पूछने पे पता चला की पहले के समय में जो चीज़े बनाई गई थी उसके पीछे कारण हुआ करते थे। समस्या बस यह है की हमे चीज़े करने के लिए कहा जाता है लेकिन उसके कारण नही बताए जाते, इसके वजह से हम ऐसी चीजों को अंध श्रद्धा के साथ जोड़ देते है।

    तो मित्रों अब जानते हैं दिवाली के दिन सूरन की सब्जी खाने व खिलाने के मुख्य कारण - दरअसल सूरन को अपने देश में कई नामो से जाना जाता है, जैसे सूरन,जिमीकन्द (कहीं कहीं ओल) और कांद भी बोलते हैं, आजकल तो बाजार में हाईब्रीड सूरन आ गया है,, कभी-कभी देशी वाला सूरन भी मिल जाता है , दीपावली के 3-4 दिन पहले से ही बाजार में हर सब्जी वाला (खास कर के उत्तर भारत में) सूरन जरूर रखता है,और मजे की बात है कि इसकी लाइफ भी बहुत होती है।

    सब्जियो में सूरन ही एक ऐसी सब्जी है जिसमें फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है, और अब तो मेडिकल साइंस ने भी मान लिया है कि इस एक दिन यदि हम देशी सूरन की सब्जी खा ले तो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में महीनों फास्फोरस की कमी नही होगी,,

    यह बवासीर से लेकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से बचाए रखता है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1 और फोलिक एसिड होता है,साथ ही इसमें पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम भी पाया जाता है ।

    मुझे नही पता कि ये परंपरा कब से चल रही है लेकिन सोचीए तो सही कि हमारे लोक मान्यताओं में भी वैज्ञानिकता छुपी हुई होती थी।

    धन्य हों हमारे पूर्वज जिन्होंने विज्ञान को हमारी परम्पराओं, रीतियों और संस्कारों में पिरो दिया।

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