उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:--भारत की तरह विश्व के अनेक देशों में भी दीपावली का पर्व बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। कुछ देशों में दीपावली का पर्व वहां की स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है, जबकि कुछ देशों में भारतीय रीति - रिवाज के अनुसार ही दीपावली मनाई जाती है।
हम जानते हैं कि दीपावली को प्रकाश पर्व कहा जाता है और यह पर्व विश्व के देशों में भिन्न - भिन्न मनाया जाता है। इजरायल का प्रकाश पर्व 'हन्त -काह' -
इजरायल में ' हन्त - काह' नाम से प्रकाश पर्व मनाया जाता है। 'हन्त- काह' पर्व पर यहूदी कैलेण्डर के नवें माह में आठ दिन तक मोमबत्ती जलाकर प्रकाश पर्व मनाया जाता है। यह प्रकाशोत्सव लगभग २१३० वर्ष पूर्व सीरियाई सेनाओं पर ' जडाह द मकानी' की विजय के रूप में मनाया जाता है। किंतु इस पर्व का मूल स्रोत अत्यन्त ही प्राचीन है। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि जब यहूदियों का प्राचीन मंदिर नष्ट किया गया तो उसके अवशेषों में कुछ तेल मिला दिया गया , ताकि दीपक कम से कम एक दिन तक जल सके। इस चमत्कार के फलस्वरूप तभी से यह प्रकाश पर्व इजरायल में मनाया जाने लगा।
जर्मनी का प्रकाश पर्व 'कार्निवाल आनव राहन' -
जर्मनी में 'कार्निवाल आनव राहन' नाम से प्रकाश पर्व मनाया जाता है, जो प्रतिवर्ष ११ नवम्बर को मनाया जाता है। यह कैथोलिक पर्व प्रकाश पर्व ही है, क्यों कि इस दिन विशेष रूप से प्रकाश किया जाता है।
बेल्जियम का प्रकाश पर्व 'रस्टे जुडाग' -
बेल्जियम में मनाये जाने वाले प्रकाश पर्व को 'रस्टे जुडाग' कहा जाता है।
नार्वे एवं स्वीडेन में प्रकाश पर्व-
नार्वें एवं स्वीडेन में भी प्रकाश पर्व धूम - धाम से मनाया जाता है। शीत ऋतु की समाप्ति पर इन देशों में प्रकाशोत्सव मनाने की परम्परा है।
File Photo of डॉ.गणेश पाठक(पर्यावरणविद्)
बुल्गारिया में 'ईस्टर' के सप्ताह में उल्लास के साथ मनाया जाता है।
ब्रिटेन में प्रकाश पर्व-
ब्रिटेन में प्रति वर्ष ५ नवम्बर को 'गार्ड फाक्स डे' मनाया जाता है, जो दीपावली की तरह ही मनाया जाता है। इस प्रकाश पर्व को मनाने का मुख्य कारण यह है कि १७ वीं सदी में इस दिन ब्रिटिश संसद को बम से उड़ाने का प्रयास किया गया था, किंतु दुश्मनों को सफलता नहीं मिली। इसी खुशी में यह प्रकाश पर्व मनाया जाता है।
मिश्र में प्रकाश पर्व -
मिश्र में प्रकाश पर।व तीन दिनों तक मनाया जाता है।ऐसा कहा जाता है कि मिश्र की शासक 'फरोहा' अपने कै सूर्यवंशी मानते थे। फलस्वरूप पृथ्वी पर सूय्य को लाने हेतु प्रति वर्ष तीन दिन तक प्रकाश पर्व मनाया जाता है। इन तीनों तिन रात में दीपों से प्रकाशित नौकाएं नील नदी में तैरती हैं, जिनकी शोभा देखते ही बनती है। पहले इन नौकाओं के पेंदे में सोने - चांदी एवं बहुमूल्य पत्थर जड़े जखते थे, जिससे प्रकाश में ये चकाचौंध पैदा कर देते थे। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन नौकाओं को देश की सुंदर युवतियां ही चलाती थी।
रोम का प्रकाशोत्सव-
रोम में प्रकाश पर्व के रूप में 'कैंण्डिल मारू' एवं 'नोटिवीटी आफ मेरी' नामक पर्व मनाया जाता है। इस दिन मोमबत्ती जलाकर जुलूस निकाला जाता है । 'कैंण्डिल मारू' पर्व आठवीं सदी से ही चला आ रहा है।
ईरान में प्रकाश पर्व-
ईरान में प्रकाश पर्व मार्च में मनाया जाता है। जब पृथ्वी पर गुलाब उग आते हैं तो तीन दिनों तक वृक्षों की पत्तियों से दीपक जलाकर उन्हें जलाया जाता है, ताकि इन्हें बुझते हुए कोई देख न ले। इनके समाज में बुझते हुए इन दीपों को देखना अशुभ माना जाता है।
चीन में प्रकाशोत्सव -
चीन में प्रकाश उत्सव के रूप में 'वाईयांग' नामक पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य कू जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व चंद्रमा के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस पर्व में तीन दिन तक दीपक जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य नामक एक चीनी शासक था ,जिसने अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस पर्व को मनाना प्रारम्भ किया था।
थाईलैंड में दीपोत्सव-
थाईलैंड में ' लाप का पोग' पर्व मनाया जाता है। यह पर्व जल देवी को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। अक्टूबर में नदियों में केले के पत्तों पर छोटे - छोटे दीपक जलाकर उनमें मोमबत्ती , एक सिक्का एवं धूपबत्ती रखकर नदी के जल में प्रवाहित किया जाता है।
जापान में 'तोरो नागाशी' नामक प्रकाश पर्व -
जापान में 'तोरो नागाशी' नामक पर्व मनाया जाता है, जो प्रकाश पर्व ही है। इसे 'लालटेनों का पर्व' भी कहा जाता है। इस दिन लालटेनों को जलाकर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। इनके समाज में ऐसी मान्यता है कि यह प्रकाश पूर्वजों की आत्मा के लिए प्रकाश दिखाने के लिए किया जाता है।
म्यांमार में दीपावली का पर्व 'तागीज' -
म्यांमार में दीपावली का पर्व भारत की तरह ही मनाया जाता है, जिसे 'तागीज' कहा जाता है। यहां के लोगों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त कर पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। फलत: प्रत्येक घरों, पैगोडों एवं बौद्ध मठों को सजाया संवारा जाता है तथा दीपक जलाया जाता है। इस दिन लोग नये - नये कपड़े पहनते हैं। पटाखे एवं गुब्बारे भी बड़े ही धूमधाम से छोड़े जाते हैं।
श्रीलंका का राष्ट्रीय पर्व दीपावली -
श्रीलंका में दीपावली राष्ट्रीय पर्व के रूप में अत्यन्त ही धूमधाम से मनाया जाता है। अत्यन्त धूमधाम के साथ सर्वत्र प्रकाश किया जाता है तथा हाथियों का शानदार जुलूस निकाला जाता है। इस दिन बौद्ध मंदिरों को भी संवारा सजाया जाता है। श्रीलंका में दीपावली संबंधी कुछ प्रथाएं भारत जैसी ही हैं।
नेपाल का सबसे बड़ा पर्व दीपावली -
नेपाल में तो दीपावली का पर्व ही सबसे बड़ा त्योहार है। नेपाल में भी भारत की तरह ही दीपावली पांच दिनों तक मनाई जाती है। पहला दिन 'काक दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन तस्तरियों में खाद्य सामग्री रखकर कौओं को खिलाया जाता है। इन लोगों में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के पश्चात उस व्यक्ति को कौवे नहीं काटते हैं। दूसरे दिन यमराज के प्रतीक के रूप में कुत्तों की पूजा की जाती है तथा तीसरे दिन गाय की पूजा की जाती है, जबकि चौथे दिन बैलों की पूजा की जाती है। पांचवें दिन भैयादूज मनाया जाता है। इन पांचों दिन विधिवत प्रकाश भी किया जाता है एवं पटाखों की भी धूम मची रहती है।
कुछ देशों में भारतीय तौर - तरीकों से भनाई जाती है दीपावली -
विश्व के कुछ देश ऐसे हैं, जहां दीपावली बिल्कुल भारतीय परम्परा के अनुसार ही मनाई जाती है, जिसका मुख्य कारण यह है कि ये देश मुख्य रूप से भारतीय मूल के हैं। ऐसे देशों में जावा, सुमात्रा,फिजी,मारीशस, सूरीनाम,ब्रिटिश गुयाना एवं त्रिनिदाद मुख्य हैं। इन देशों में मनाई जाने वाली दीपावली एवं भारत में मनाई जाने वाली दीपावली की परम्परा में जरा सा भी अन्दर नहीं है।
विदेशों में लक्ष्मी पूजा-
दीपावली की तरह लक्ष्मी जी की पूजा भी विश्व के अनेक देशों में की जाती है। ग्रीस में कृषि एवं सामाजिक सम्पन्नता की देवी के रूप में 'री' देवी की पूजा की जाती है। 'री' की तुलना 'रेवती' नक्षत्र से की जाती है। संस्कृत शब्द 'रेई' या 'राई' की खेती का अर्थ होता है 'धन'। अत : ग्रीस में खेती एवं ' री' देवी को लक्ष्मी का पर्याय माना जाता है।
कम्बोडिया में विष्णु की एक मूर्ति प्राप्त हुई है,जिसमें विष्णु को शेषशायी प्रदर्शित किया गया है।इस मूर्ति में लक्ष्मी को विष्णु का पैर दबाते हुए दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त कांसे की बनी लक्ष्मी की एक मूर्ति भी प्राप्त हुई है।इससे यह सिद्ध होता है कि यहां लक्ष्मी की पूजा प्राचीन काल से होती चली आ रही है।
बाली द्वीप के लोगों में ऐसी मान्यता है कि हिन्देशिया के राजाओं की लक्ष्मी उनकी रानी के रूप में रहती थी, किंतु जब विष्णु जी से लक्ष्मी का प्रेम हो गया तो उसकी मृत्यु हो गयी। जहां पर लक्ष्मी की समाधि बनाई गयी , वहां पर अनेक पौधे उग आए। इन पौधों में धान भी था, जिसकी उत्पत्ति लक्ष्मी की नाभि से हुई। फलत : धान को सर्वश्रेष्ठ अन्न माना गया और तब से लक्ष्मी की पूजा धान उत्पन्न करने वाली देवी के रूप में की जाने लगी। भारत में भी चावल सबसे पवित्र एवं देव अन्न माना जाता है।
जापान में १६ वीं सदी में निर्मित एक मंदिर का पता चला है, जिसमें लक्ष्मी की मूर्ति प्राप्त हुई है। इस मूर्ति में लक्ष्मी को एक जापानी महिला के रूप में दर्शाया गया है। इस तरह जापान में भी लक्ष्य की पूजा प्राचीन काल से प्रचलित है।
यूनानी राजाओं द्वारा चलाए गये सिक्कों पर भी लक्ष्मी की प्रतिमा उत्कीर्ण है। रोम के 'लम्पकस' से प्राप्त चांदी की थाली पर लक्ष्मी की प्रतिमा अंकित है, जिसमें लक्ष्मी को एक रोमदेशीय भद्र महिला के रूप में प्रदर्शित किया गया है। अत: इन देशों में भी लक्ष्मी की पूजा प्रचीन काल से होती चली आ रही है।
सूडान में लक्ष्मी की पूजा धान उत्पन्न करने वाली देवी के रूप में की जाती है।
श्रीलंका के 'योलोमरूबा' नामक स्थान पर 'शिवदण्डल' में हुई खुदाई में अन्य भारतीय देवी - देवताओं के साथ लक्ष्मी की मूर्ति भु प्राप्त हुई है।
मध्य एशिया की दीवारों पर लक्ष्मी को कमल पर आसीन प्रदर्शित किया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि मध्य एशियाई देशों में भी लक्ष्मी की पूजा होती थी।
इस प्रकार स्पष्ट है कि दीपावली का पर्व किसी न किसी रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है तथा लक्ष्मी ज्ञकी भी पूजा किसी न किसी रूप में विश्व भर में की जाती है। अत : यदि दीपावली को अन्तर्राष्ट्रीय पर्व कहा जाय तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी।