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    पैरों के तलवों पर कांसे (Kansa) धातु की कटोरी से मालिश करना एक प्राचीन आयुर्वेदिक शारीरिक और मानसिक फायदे भी हैं : SKGupta

    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 

    बलिया उत्तरप्रदेश:---पैरों के तलवों पर कांसे (Kansa) धातु की कटोरी से मालिश करना एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसे कांसा वाटी मसाज कहा जाता है। यह मालिश सिर्फ आराम ही नहीं देती, बल्कि इसके कई गहरे शारीरिक और मानसिक फायदे भी हैं

    कांसे की धातु, जो तांबे और टिन का मिश्रण होती है, आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मालिश शरीर के ऊर्जा बिंदुओं (मर्म) को उत्तेजित करती है, जिससे कई लाभ होते हैं।

    कांसे की कटोरी से मालिश के फायदे :

     शरीर की गंदगी (टॉक्सिन) बाहर निकालना:
      
    कांसे की धातु में शरीर की गर्मी और विषाक्त पदार्थों (toxins) को खींचने का गुण होता है।
       
    जब तलवों पर तेल या घी लगाकर कांसे की कटोरी से मालिश की जाती है, तो कटोरी का निचला हिस्सा धीरे-धीरे काला या भूरा हो जाता है। यह इस बात का संकेत माना जाता है कि कटोरी शरीर से जमी हुई गंदगी को बाहर निकाल रही है।

     तनाव और थकान दूर करना:

    पैरों के तलवों में हजारों तंत्रिकाएं (nerves) होती हैं। मालिश करने से ये तंत्रिकाएं शांत होती हैं, जिससे पूरे शरीर को गहरा आराम मिलता है।
    यह दिन भर की थकान, तनाव और चिंता को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है।

     बेहतर नींद में सहायक:

     तनाव और थकान दूर होने से मन शांत होता है।
     यह मस्तिष्क को आराम देता है, जिससे रात में गहरी और आरामदायक नींद आने में मदद मिलती है।

    रक्त संचार बढ़ाना:
    तलवों पर मालिश से रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में रक्त का प्रवाह बढ़ता है।

     बेहतर रक्त संचार से पैरों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ जाती है, जिससे पैरों की सूजन और दर्द में कमी आती है।

     आंखों की रोशनी के लिए:

    आयुर्वेद और रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) के अनुसार, पैरों के तलवे में कुछ खास बिंदु आंखों से जुड़े होते हैं।

    कांसे की कटोरी से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है और आंखों का तनाव कम होता है।

     वात और पित्त दोष को शांत करना:

    कांसे की तासीर ठंडी मानी जाती है, जो शरीर की अतिरिक्त गर्मी (पित्त दोष) को शांत करती है।

    मालिश की क्रिया से वात दोष (जो दर्द और सूखापन का कारण बनता है) संतुलित होता है। इस तरह, यह शरीर में तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करती है।
     
    पैरों की त्वचा और मांसपेशियों को स्वस्थ रखना:

    यह मसाज पैरों की मांसपेशियों को आराम देती है और उनकी कठोरता को कम करती है।

    यह तलवों की सूखी और फटी हुई त्वचा को नरम बनाने में भी मदद करती है।

    इस मालिश को करने के लिए आप घी या कोई भी प्राकृतिक तेल (जैसे नारियल तेल) का उपयोग कर सकते हैं। यह बहुत ही सरल और प्रभावी तरीका है अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का।

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