उत्तर प्रदेश बलिया
इनपुट: हिमांशु शेखर
बलिया उत्तरप्रदेश:--आँवला के पौधे पर कई बार फूल नहीं आते और अगर आते हैं तो झड़ जाते हैं, फल नहीं बनते। इसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे परागण की कमी, मिट्टी में पोषण तत्वों की कमी, नर-मादा फूलों की संख्या में असंतुलन, पौधे को उगाने की विधि और बेहद महत्वपूर्ण पौधें की उम्र। इनमें से कोई भी कारण हो सकता हैं।
💁🏼♀️आँवले में फल न लगने के कारण :
👉🏻पौधा फल देने की उम्र में नहीं पहुँचा :
बीज से उगाए आँवले को फल देने में 6 से 7 साल लग सकते हैं। कलम या ग्राफ्टेड पौधे आमतौर पर 3 से 4 साल में फल देना शुरू करते हैं।
🧐समाधान :
यदि पौधा बहुत पुराना होकर भी फल नहीं दे रहा, तो पौधे की छंटाई करें। आप हर साल सर्दियों के अंत में सूखी व भीतरी शाखाओं की कटाई-छंटाई करें ताकि धूप अंदर तक पहुँचे और ग्रोथ हॉर्मोन भी बढ़े।
👉🏻केवल नर या मादा फूल ही बन रहे हैं :
आँवला द्विलिंगी नहीं होता, उसमें नर और मादा फूल अलग-अलग बनते हैं। यदि मादा फूल नहीं बनते हैं या नर फूल कम बनते हैं, तो फल नहीं बनेंगे।
🧐समाधान :
फूल आने के समय NAA (नेफ्थलीन एसिटिक एसिड) का छिड़काव करें, यह मादा फूलों को बढ़ावा देता हैं।
👉🏻मात्रा :
1 मिलीलीटर NAA (4.5%) को 5 लीटर पानी में मिलाएँ।
🤔कब प्रयोग करें :
● फूल बनने के समय पर छिड़कें।
●15 से 20 दिन के अंतर पर 1-2 बार छिड़काव किया जा सकता हैं यदि समस्या बनी रहे।
🤔कैसे प्रयोग करें :
● सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।
● पत्तियों और फूलों पर हल्का फुहार दें ताकि पूरे पौधे पर समान रूप से लगे।
● बारिश से पहले या बहुत तेज धूप में छिड़काव न करें।
👉🏻फूल गिरने की समस्या :
पोषण की कमी, कीट / रोग या तेज गर्म हवाओं से फूल झड़ सकते हैं।
🧐समाधान :
5-10 ग्राम सल्फेट ऑफ पोटाश + 2 ग्राम बोरॉन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल या लहसुन-नीम स्प्रे का प्रयोग करें।
👉🏻परागण की कमी :
यदि बगीचे में एक ही आँवला पेड़ हैं, तो परागण न होने से फल नहीं बनते।
🧐समाधान :
कम से कम 2-3 आँवले के पेड़ लगाएँ।
फूल आने पर हल्के हाथों से फूलों को थप-थपाकर या ब्रश से हैंड पोलिनेशन करें।
👉🏻पोषण या मिट्टी की कमी :
पौधे की कमजोरी, जड़ सड़न या पोषक तत्वों की कमी से फलन रूक सकता हैं।
🧐समाधान :
जैविक खाद:- प्रति वर्ष 10-15 किलो० गोबर खाद + 1 किलो० नीम खली बड़े आकार के पेड़ में डाले।
अन्य उर्वरक (प्रति पेड़):
• 200 ग्राम नाइट्रोजन
• 100 ग्राम फास्फोरस
• 150 ग्राम पोटाश
• 2 से 3 ग्राम बोरॉन
सभी को मिलाकर आधा-आधा बाँटकर 2 बार पेड़ के तने के चारों ओर फैलाकर मिट्टी में मिला दें। गोबर की खाद और नीम की खली को वसंत में साल में एक बार डाले और NPK उर्वरक को दो बार, फरवरी में (वसंत) और सितंबर में (बरसात के मौसम के बाद) डालें।
🤔अगर आँवला का पेड़ गमले में लगा हैं, तब :
💁🏼♀️ गमला कैसा हो :
कम से कम 18-24 इंच गहरा और चौड़ा हो, नीचे अच्छी जल निकासी वाले छिद्र जरूरी हैं।
💁🏼♀️मिट्टी का मिश्रण :
50% दोमट मिट्टी + 30% गोबर खाद / वर्मीकम्पोस्ट + 20% रेत या कोकोपीट।
💁🏼♀️ धूप व स्थान :
आँवले के पौधे को 6-8 घंटे की धूप अवश्य मिले। गमले को समय-समय पर घुमाते रहें ताकि सभी भागों को प्रकाश मिले।
💁🏼♀️ सिंचाई :
गर्मियों में नियमित पर मिट्टी सूखने के बाद ही पानी दें। बारिश में जल निकासी पर विशेष ध्यान दें।
💁🏼♀️ छँटाई :
गमले में पौधे की ऊँचाई सीमित रखें। सर्दियों के अंत में सूखी और भीतरी टहनियाँ हटाएँ।
💁🏼♀️ रोग-कीट नियंत्रण :
नीम तेल या घर का जैविक स्प्रे हर 15 दिन में छिड़कें। गमले की सतह पर दीमक आदि का नियमित निरीक्षण करें।
💁🏼♀️ खाद व पोषण :
👉🏻 हर 2 महीने में 2-3 मुट्ठी जैविक खाद डालें।
👉🏻 फूल आने से पहले और बाद में थोड़ी मात्रा में उर्वरक NPK 05:05:05 + 1 ग्राम बोरॉन दें।
👉🏻 नीम खली, केले का छिलका आदि भी जरूर डालें।
👉🏻फूल झड़ने की समस्या हो तो सल्फेट ऑफ पोटाश 3-5 ग्राम + बोरॉन 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
👉🏻3 महीने में 1 बार माइक्रो न्यूट्रिशन का स्प्रे जरूर करें।