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    Story:पत्नी का देहांत हुए 15 दिन बाद अचानक उसे पत्नी का लिखा एक पत्र मिला। पत्र में लिखा था?

    उत्तर प्रदेश बलिया 
    इनपुट: हिमांशु शेखर 
    बलिया उत्तरप्रदेश:---पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे। लोगों का आना-जाना अब बंद हो गया था। वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया हुआ था कि अचानक उसे पत्नी का लिखा एक पत्र मिला। पत्र में लिखा था:

    प्रिय पतिदेव

    मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है और वह भी अंतिम स्टेज में है। मैं यह भी जानती हूँ कि मेरे पास अब बहुत कम दिन बचे हैं। मुझे यह भी पता है कि आपने मेरे इलाज में अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी है। सारे गहने बिक चुके हैं। कितनी मेहनत से बचत करके जो प्लॉट हमने खरीदा था, वह भी मेरी बीमारी की भेंट चढ़ चुका है।

    आप क्या समझते थे कि यदि ये सारी बातें मुझे नहीं बताओगे, तो मुझे पता नहीं चलेगा? मैं आपकी अर्धांगिनी हूँ। मैंने जिंदगी के 12 साल आपके साथ गुजारे हैं। मैं आपके चेहरे को पढ़कर जान जाती हूँ कि आप किस हालत में हो। मगर मेरी मजबूरी देखिए कि मैं आपके आँसू भी नहीं पोंछ सकती।

    आप अकेले में जब रोते हो, तब छुपकर देखती हूँ और फिर खुद भी रोती हूँ। कमबख्त जिंदगी हमें किस मोड़ पर ले आई है? हम एक दूसरे का दर्द भी नहीं बाँट सकते। एक दूसरे के आँसू भी नहीं पोंछ सकते। आप समझते हैं कि आपको रोते देखकर मैं कमजोर पड़ जाऊंगी, इधर मैं नहीं चाहती आप कमजोर पड़ें। कितनी बेगानी हो गई हूँ न मैं? आपकी उदासी का कारण भी आपसे नहीं पूछ सकती!

    आजकल सब जान-पहचान वाले मिलने आ रहे हैं। शायद अब मैं एक-दो दिन की ही मेहमान हूँ। शायद मेरी यात्रा पूरी हो चुकी है। ये कैसा बुलावा है जिसका मुझे पहले से पता है? मुझे मरने से डर नहीं लगता। मुझे डर लगता है कि आप कैसे सह पाओगे मेरी जुदाई? शाम को घर आते ही मुझे तलाश करते हो। मगर अब मैं घर में नहीं मिलूंगी।

    कलेजा मजबूत कर लेना। जानती हूँ कि आपके लिए बहुत मुश्किल होगा मुझे भुलाना। मैं दो दिन मायके चली जाती हूँ तो पीछे-पीछे चले आते हो। अब तो हमेशा के लिए बुलावा आ गया है। हाथ और साथ दोनों छोड़ कर जा रही हूँ। मगर आप हिम्मत मत हारना।

    बच्चे अभी बहुत छोटे हैं, उनसे कहना मम्मी भगवान के पास गई है। जल्दी लौटकर आएगी। मेरे चले जाने के बाद बिल्कुल भी मत रोना। कलेजे को पत्थर कर लेना।

    आप मुझसे कहा करते थे ना कि मैं बहुत डरपोक हूँ, बात-बात पर रो पड़ती हूँ। अब देखो ना आपकी पत्नी कितनी मजबूत हो गई है! दुनिया से विदा होने वाली है, रात-दिन दर्द को लेकर जी रही है। मगर एक बार भी नहीं रोयी।

    हमारे साथ का सफर बहुत छोटा रहा, मगर क्या करूँ अब साथ नहीं दे पाऊंगी। इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया। मेरे सारे नखरे उठाने के लिए शुक्रिया। मुझे टूटकर चाहने के लिए शुक्रिया।

    जानती हूँ, आपको मेरी लत लगी हुई है। भुलाना बहुत मुश्किल है। मगर आपको खुद को संभालना ही होगा। मैं रोज आसमान से देखा करूंगी।

    आप टाइम पर नहाना, टाइम पर खाना खा लेना क्योंकि आपको ये सब याद दिलाने के लिए आपकी पत्नी अब नहीं होगी। अब मैं ना रहूँगी, अब आलस करना छोड़ देना। जब तक मैं थी, आप घर की हर चिंताओं से मुक्त थे। मुझे दोनों बच्चों की तरह आपका भी ख़याल रखना पड़ता था मगर अब आप बच्चा बनना छोड़ देना।

    अब रूठना छोड़ देना क्योंकि आपको मनाने के लिए अब आपकी पत्नी नहीं रहेगी। अब टूटना भी छोड़ देना क्योंकि आपकी हिम्मत बंधाने के लिए आपकी पत्नी नहीं होगी।

    अय जिंदगी! तेरे सफर में इतने गम क्यों हैं? जो जीना ही नहीं चाहते, उनकी तू बहुत लंबी है। मगर जो जीना चाहते हैं, उनकी सांसे इतनी कम क्यों हैं? अय जिंदगी, तेरे सफर में...

    मुझसे अब और नहीं लिखा जाता। हाथों में दम बिल्कुल भी नहीं है फिर भी मैं लिख रही हूँ। आप दो दिन से सोये नहीं थे, इसलिए आज गहरी नींद में सो रहे हो अत: मुझे लिखने का वक़्त मिल गया। मगर अब मैं लिखना बंद करके आपको थोड़ा सा निहारना चाहती हूँ। पता नहीं सुबह उठूं या ना उठूं? आज आखरी बार आपके हाथों का तकिया बनाकर सोना चाहती हूँ। आपके सीने से कान लगाकर आपकी धड़कनों में खोना चाहती हूँ...

    आपकी सदा प्यार करने वाली,
                   पत्नी

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